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जल सिर्फ संसाधन नहीं बल्कि मानवता के भविष्य का सवाल है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

इंडोर स्टेडियम में जलसंचय जनभागीदारी योजना का शुभारंभ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली जुड़े

सूरत। शहर के अठवा लाइन्स स्थित इंडोर स्टेडियम में आज शुक्रवार को जलशक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित जलसंजय जनभागीदारी योजना में वर्चुअली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जल सिर्फ संसाधनों का सवाल नहीं है बल्कि जीवन और मानवता के भविष्य का सवाल है।

उन्होंने जल संचयन योजना को पुण्य का काम बताते हुए कहा कि इस दिशा में जनभागीदारी से जो अभूतपूर्व परिणाम देखने को मिलेंगे, वह आने वाले दिनों में दुनिया के लिए प्रेरणादायी साबित होंगे। उन्होंने इस समय देश के अधिकांश हिस्सों में मेघराजा के प्रकोप के कारण बाढ़ की समस्या पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि देश के नागरिक संकट के समय में एक-दूसरे के साथ मिलकर मदद कर रहे हैं।

इस मौके पर उन्होंने अतीत का जिक्र करते हुए कहा कि जब वे गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने जल भंडारण की समस्या को दूर करने का संकल्प लिया और इसी का परिणाम है आज सौराष्ट्र और कच्छ जैसे क्षेत्र जैसे सूखाग्रस्त क्षेत्र में पानी की समस्या का समाधान हो सका है। उन्होंने सरदार सरोवर बांध और सौनी योजना का जिक्र करते हुए कहा कि आज प्रदेश के छोर के इलाकों तक नर्मदा का पानी पहुंचता है।

जल संरक्षण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, यह सिर्फ नीति का मामला नहीं है बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धता का भी मामला है और इसकी मुख्य ताकत जनभागीदारी है। जल के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में जल को भगवान का रूप कहा जाता है और इसीलिए नदियों को देवी और तालाबों को मंदिर का स्थान मिला है। नदियों से हमारा रिश्ता हजारों साल पुराना है। हमारे पूर्वज भी पानी की समस्या से परिचित थे और इसलिए वे जल संरक्षण के महत्व को भी जानते थे।

उन्होंने संत रहीम के दोहा रहिमन पानी राखीये, बिन पानी सब सून का हवाला देते हुए कहा कि ढाई दशक पहले सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात की स्थिति सबको पता थी। पिछली सरकारों में जल संरक्षण को लेकर दूरदर्शिता का अभाव था। जलवायु परिवर्तन की चुनौती के बीच पानी की समस्या पर विचार करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया का केवल चार प्रतिशत पीने योग्य पानी हमारे देश में है और देश के अधिकांश क्षेत्रों में भूमिगत जल स्तर में काफी कमी आयी है। इस स्थिति से निपटने के लिए देश के नागरिकों को दृढ़ संकल्पित होना होगा और इसके लिए जलसंचय जनभागीदारी योजना कारगर साबित होगी।

इस मौके पर उन्होंने कैच द रेन अभियान का जिक्र किया और कहा कि 2021 में शुरू की गई इस योजना से अब शहर और गांव भी जुड़ रहे हैं और देश के 140 करोड़ नागरिकों की भागीदारी से यह योजना अब जन आंदोलन का रूप ले रही है। नल से जल योजना के बारे में उन्होंने यह भी कहा कि पहले देश में केवल तीन करोड़ घरों को ही नल से पीने का पानी मिलता था। हालांकि, नल से जल योजना के बाद आज देश में 75 फीसदी यानी 15 करोड़ नलों में पीने का पानी पहुंच रहा है।

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