
गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश बोलीं- लोग कोर्ट पर भरोसा करते हैं, लेकिन न्याय में देरी समाज और व्यवसाय दोनों को प्रभावित करती है
एसजीसीसीआई में 'लीगल कॉन्क्लेव' का आयोजन, न्यायिक देरी पर हुई गहन चर्चा
सूरत में साउथ गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और सूरत सिटी एडवोकेट्स एसोसिएशन के सहयोग से शनिवार, 23 अगस्त 2025 को ‘लीगल कॉन्क्लेव – 2025’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में गुजरात उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया और उद्यमियों व वकीलों का मार्गदर्शन किया।
चैंबर अध्यक्ष निखिल मद्रासी ने अपने संबोधन में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालयों में लगभग 1.70 लाख से अधिक मामले लंबित हैं, जिससे व्यवसाय और परिवार दोनों प्रभावित होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए विवादों का तेजी से समाधान होना बेहद जरूरी है।
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा कि सूरत एक जीवंत शहर है जहाँ लोग न्याय पर भरोसा करते हैं, लेकिन न्यायिक देरी उन्हें निराश करती है। उन्होंने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रहा है कि लोगों को न्याय के लिए अदालत नहीं, बल्कि अदालतें लोगों तक पहुंचे।उन्होंने कहा कि गुजरात में मध्यस्थता के माध्यम से मामलों को निपटाने की दर 55% है।
उन्होंने उद्योगपतियों को वाणिज्यिक विवादों के शीघ्र निपटान के लिए वाणिज्यिक न्यायालयों का उपयोग करने की सलाह दी।तकनीकी सत्र में, गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रणब त्रिवेदी ने एडीआर को अदालती लड़ाइयों से बचने का एक प्रभावी तरीका बताया। उन्होंने कहा कि यह कम खर्चीला है, समय बचाता है और गोपनीयता बनाए रखता है।
वहीं, न्यायाधीश डी.एन. राय ने लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि एडीआर इन मामलों के त्वरित समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
कॉन्क्लेव में चैंबर के उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला, मानद मंत्री बिजल जरीवाला, मानद कोषाध्यक्ष सीए मितेश मोदी सहित कई वरिष्ठ वकील और उद्यमी उपस्थित थे। अंत में, उपस्थित श्रोताओं के सभी सवालों के संतोषजनक जवाब दिए गए।