अहिंसा परमो धर्म पर आस्था रखने वाले जैन समाज पर अनूप मंडल द्वारा फैलाई जा रही है जूठी अफवाह
कांतिलाल मांडोत
अहिंसा जैनत्व का प्राण तत्व है।उसके शब्द शब्द में दया का सागर लहरा रहा है।जैन सन्त के साथ साथ गृहस्थ को भी अपनाने हेतु प्रेरित किया गया है।उसे मन वचन और कर्म से अहिंसा का पालन करने को कहा जाता है।जैन धर्म मात्र किसी की हत्या को ही हिंसा नही मानता है,बल्कि हम क्रोध व घृणा का सहारा लेते है तो यह भी हिंसा का ही प्राम्भिक रूप है।जिस व्यक्ति के मन मे अहिंसा की भावना जागृत हो जाती है वह स्वयं के साथ साथ विरोधियों को भी मंगल कामना करने लगता है।एक हिंसक अपने स्वार्थ के लिए बिना आगे पीछे सोचे खून बहाने के लिए तैयार हो जाता है ।दुनिया के किसी भी धर्म मे हिंसा का कोई स्थान नही है।भगवान महावीर ने अहिंसा को सर्वाधिक महत्व दिया।जैन श्रावकों को बचपन मे ही सिखाया जाता है कि मन मे उठने वाले भाव भी हिंसा है।भगवान महावीर ने कहा कि अहिंसा धर्म है।अहिंसा में धर्म की छवि है।उनकी अहिंसा में कायरता को स्थान नही था।उनके अनेकांत में साम्यवादी दृष्टि थी।वे अहिंसा को साहसी और अनेकान्तवादी को दृढ़ देखना चाहते थे।भगवान महावीर की दृष्टि में मानव मात्र के प्रति कल्याण की भावना प्रमुख थी।भगवान महावीर के उज्ज्वल सिद्धान्तों में कही कोई न्यूनता नही थी।वे तो पूर्ण रूप से पारदर्शी थे।विकार तो मानव की दुर्बुद्धि है।प्रभु महावीर ने वरदानों से विलग करदिया।कोयले में अग्नि है पर वह गुप्त है।प्रदीप्त अग्नि के संपर्क से वह जलता है,परन्तु पानी मे भीगा कोयला सुलगता नही।पानी का अंश अलग हो जाने पर ही वह सुलग सकता है।महावीर का महावाक्य है कि जिस प्रकार भीगा हुआ कोयला सुलग नही पाता, उसी प्रकार कर्मफल से युक्त आत्मा परमात्मा पद नही पा सकती।हजारो वर्ष पूर्व महावीर ने हमको ,आपको और सबको धर्मोत्कृष्ट की दृष्टि दी।भगवान ने छह महीने तक आहार का त्याग समाज को दृष्टि देने के लिए किया।जैन धर्म मे अपरिग्रहवाद का महत्वपूर्ण स्थान है।जैन भारत का अधिक धनिक समाज है।राष्ट्र के व्यापार एवं उधोग पर उसका अधिकार है।जिस समाज के पास व्यापार और उधोग का महत्वपूर्ण कार्य है,वहाँ सम्पनता तो होगी ही।सभी धर्मो में संग्रह की प्रवृति को बुरा मानकर मानव को आवश्यकता से अधिक अर्जित संपति को विसर्जन करने को कहा गया है।जिसके धन का कोई उपयोग नही होता ।धन का यह परिग्रह अनेक पाप प्रवृतियों को पैदा करता है।संतो का जीवन तो बहते हुए जल के समान है।गंगा हिमालय से निकलती है।जब हिमालय की बर्फ पिघलती है तो वह पानी बनकर सागर की और चल देती है।संत और सरिता तो चलते ही रहते है।भारत मे दो संस्कृति है एक श्रमण संस्कृति और दूसरी वैदिक संस्कृति।संत साधक है।संयम युक्त जीवन है।भारत मे सभ्यता और संस्कृति के मूल में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।धर्म तो बहुत है ,पर परम् धर्म एक ही है और वह है अहिंसा।
जैन समाज पर अनूप मंडल द्वारा तत्यहीन और बेबुनियाद आरोप लगाया जा रहा है ,,वह गलत है।समाज को बदनाम करने के लिए अनूप मंडल के कार्यकर्ताओं द्वारा अनर्गल बयानबाजी से जैन समाज ही नही हिन्दू समाज भी आहत हुआ है।अनूप मंडल के तथाकथित धर्म के ठेकेदारों का एक राज्य तक ही नही देश के अनेक राज्यो में पैर पसार रहा है।अनपढ़ लोगो को अनूप मंडल का सदस्य बनाकर रेलिया निकाल कर जैन संस्कृति को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है।जैन संतो पर विहार के दौरान दुर्घटना को अंजाम देने का कार्य बखूबी निभाते है।जैन समाज हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग है।संतो पर दोषारोपण कर इनको बदनाम किया जा रहा है।लेकिन संतो ने ही धर्म की महिमा को दूर दूर पहुंचाया है।संतो ने अध्यात्म के अमृत से संसार को जीवन दिया है।जिस प्रकार सिंधु का जल बिन्दु से संबंध है,वैसा ही समाज एवं साधु का संबंध है।जहाँ साधु है वहा समाज सदैव आदर्श का अनुसरण करता है।साधु समाज को उन्नत बनाता है।देश मे जहा कही भी चातुर्मास होता है उस जगह धर्म की गंगा बहती है।चार महीने के चातुर्मास में व्रत, उपवास,दान पुण्य जीवदया, गरीब परिवारों को मदद गोशाला को आर्थिक मदद और चार महीने तक श्रावक श्राविकाओं से लेकर छोटी उम्र के बच्चे भी पानी पर उपवास करते है।अपवाद को छोड़कर जैन धर्मावलंबियों की गुनाहीत प्रवृति का थोड़ा भी अंश मात्र नहो है।अहिंसा परमो धर्म पर आस्था रखने वाले जैन समाज को अनूप मंडल द्वारा राक्षस और कोरोना महामारी का जनक बताकर जैन समाज पर आरोप लगा रहे है।कभी किसी दुश्मन का स्वप्न में भी बुरा नही सोचने वाले जैन धर्मावलंबियों को खूनी और पापी कहकर संबोधित करना ओछी मानसिकता के लक्षण है।वे अपने आप को नीचा दिखाने का समाज विरुद्ध कार्य कर रहे है।लोगो को भ्रमित करके अनूप मंडल में शामिल करने वाले ये लोग समाज को बदनाम कर रहे है।जैन समाज के साधु संत वैराग्य आने के बाद ही संसार का त्याग करते है।जैन संत कल्पवृक्ष है।साधु समाज ने जैन परम्पराओ की गरिमा को आंच नही आने दी है।देश मे सभी चारो सम्प्रदाय के हजारों साधु साध्वियां है,लेकिन किसी ने इतिहास में जैन धर्म को बदनाम नही किया है।समाज और स्वयं आत्मा के कल्याण के लिए संसार का त्याग करते है।आज जैन समाज के साधु साध्वियों के सेलिब्रिटी कायल है।संतो के आशीर्वाद के बिना कोई नए कार्य की शुरुआत नही करते है।फिर चाहे नेता हो या फिर अभिनेता ही क्यो नही हो।अनूप मंडल बिना सोचे समझे जैन समाज पर आरोप लगा रहा है।अनूप मंडल के पदाधिकारियों को चाहिए कि जैन समाज को बुरा भला कहना छोड़ दे।उसके उपरांत भी अगर बाज नही आए तो जैन समाज देश मे अनूप मंडल के खिलाफ अहिंसक आंदोलन करेगा।उसकी जवाबदारी अनूप मंडल की होगी।केंद्र सरकार अनूप मंडल की सीबीआई जांच करा कर दोषी पाए जाने पर उसके संचालक और मंडल के सदस्यों पर जैन समाज को बदनाम करने के लिए कार्रवाई की जाए।