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18 अप्रैल – विश्व धरोहर दिवस : ताप्ती नदी के किनारे स्थित ऐतिहासिक सूरत किला प्राचीन संस्कृति, सुरत के गौरव और समृद्ध विरासत का प्रतीक 

2022 से 2025 के दौरान 1,21,489 लोगों ने सुरत किले का दौरा किया: हेरिटेज टूरिज्म से ₹83.72 लाख की आय हुई: क्यूरेटर पृथ्वी रंगनेकर

सूरत शहर के चौकबाज़ार क्षेत्र में स्थित सूरत किला शहर के गौरवशाली इतिहास का साक्षी है। अहमदाबाद के सुल्तान महमूद शाह तृतीय (1538–1554) के आदेश पर सुरत पर बार-बार हो रहे आक्रमणों से सुरक्षा के लिए यह किला बनवाया गया था। सुल्तान महमूद ने इसकी ज़िम्मेदारी तुर्की के सैनिक सफी आगा को सौंपी थी, जो “ख़ुदावंद ख़ान” के नाम से प्रसिद्ध थे।

ई.स. 1540 से 1546 के बीच निर्मित यह किला लगभग 1 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसकी दीवारें 20 गज ऊँची और 15 मीटर चौड़ी हैं। चारों कोनों पर 12.2 मीटर ऊँचे और 4.1 मीटर चौड़े मीनार हैं। सुरत महानगरपालिका द्वारा इस किले का जीर्णोद्धार कर इसकी ऐतिहासिक भव्यता को पुनः स्थापित किया गया है।

क्यूरेटर पृथ्वी रंगनेकर के अनुसार, 2022 से 2025 के दौरान 1,21,489 लोगों ने सुरत किले का दौरा किया, जिससे ₹83,72,040 की आय हुई। विशेष रूप से, नगर प्राथमिक शिक्षा समिति की पहल पर 8,037 नगरप्राथमिक स्कूलों के छात्रों और अन्य चयनित विज़िटर्स को निःशुल्क प्रवेश दिया गया, ताकि वे विरासत से परिचित हो सकें।

इसके अलावा, 627 विदेशी पर्यटकों ने भी किले की भव्यता का अनुभव किया। एक समर्पित 18-सदस्यीय टीम किले के प्रबंधन और संरक्षण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। यह स्मारक सिर्फ अतीत का संग्रहालय नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को संस्कृति से जोड़ने का माध्यम है।

एक समय में ताप्ती नदी के किनारे एक सामरिक प्रहरी के रूप में खड़ा सुरत किला आज अपने प्राचीन वैभव को उजागर करता है। इस स्मारक ने जहाज़ों की हलचल, साम्राज्यों के उत्थान-पतन और विभिन्न संस्कृतियों का संगम देखा है। आज यह किला न केवल इतिहास को दर्शाता है, बल्कि उसे अनुभव भी कराता है।

पुनर्निर्माण और उद्घाटन:

पुनर्निर्माण के बाद, दिनांक 29 सितंबर 2022 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सुरत किले का वर्चुअल उद्घाटन किया गया। अगले दिन, 30 सितंबर 2022 को इसे आम जनता के लिए खोला गया।

पुनर्स्थापन और संरक्षण:

2015 में राज्य सरकार द्वारा सुरत किले की देखरेख और जतन की ज़िम्मेदारी सुरत महानगरपालिका (SMC) को सौंपी गई। SMC ने लगभग ₹55 करोड़ की लागत से इसका पुनर्निर्माण कराया। इसमें तुगलक, गुजरात सल्तनत, मुग़ल, डच और ब्रिटिश स्थापत्य शैलियों को संरक्षित कर लगभग 700 वर्ष पुरानी विरासत को जीवंत रखा गया है।

स्थापत्य सौंदर्य और ऐतिहासिक अनुभव:

नवीन रूप से विकसित सुरत किले में अब विभिन्न विषयों पर आधारित गैलरीज़ हैं, जिनमें पत्थरों पर की गई प्राचीन मूर्तियाँ और नक्काशी दर्शायी गई है।

किले के परिसर में छह प्रमुख इमारतें, चार मुख्य मीनारें, दो अधूरी मीनारें, एक खाई और एक ड्रॉब्रिज हैं – जो तुगलक, मुग़ल, डच और ब्रिटिश युगों की झलक पेश करते हैं।

यह किला केवल एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं, बल्कि एक शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है।

प्रमुख आकर्षण:

डायमंड हब: जहाँ सुरत के प्रसिद्ध हीरा उद्योग का लाइव डेमो देखा जा सकता है।

तिजोरी और “रुपया रूम”: जिसमें मुद्रा और आर्थिक इतिहास की झलक मिलती है।

शस्त्र गैलरी और लकड़ी की कलाकृति गैलरी: जो किले की सुरक्षा और समुद्री व्यापार की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत करती हैं।

गुजराती हस्तकला गैलरी: जिसमें एप्लीक, कढ़ाई और मोती का काम दिखाया गया है।

“हमाम विद फ्रेस्को”: जो कलात्मक रूप में सुरत शहर को दर्शाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल संग्रहालय के 135 साल पुराने संग्रह के साथ एकीकृत लगभग 35 थीम आधारित गैलरीज़।

“हेरिटेज वॉक” मोबाइल ऐप: जो स्वनिर्देशित भ्रमण का अनुभव कराता है।

विशेष गैलरीज़:

हाथीदांत कला गैलरी: जिसमें सजावटी वस्तुएं, खेल की गोटियाँ और 19वीं सदी की “यात्रियों से भरी नाव” प्रदर्शित है।

भारतीय कांस्य कला गैलरी: पश्चिमी, दक्षिण भारतीय और हिमालयी कांस्य मूर्तियाँ, बीदरी कला और धार्मिक सामग्री शामिल हैं।

डिजिटल कनेक्टिविटी: “हेरिटेज वॉक” ऐप

हर पत्थर में इतिहास छिपा है। मार्च 2017 में शुरू हुई “हेरिटेज वॉक” मोबाइल ऐप ऑडियो माध्यम से जानकारी देती है, जिससे दर्शक गहराई से समझ सकें।

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