
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्नअटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती
हिंदी व व्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि कृष्णबिहार वाजपेयी के घर 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म हुआ। स्कूल टीचर के घर मे जन्म होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल छा गया। राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन के संपादन किया। करियर की शुरुआत पत्रकार के रूप में शुरू की गई।वाजपेयी ने 1940 में भारत छोड़ो यात्रा में भाग लिया। कॉलेज के दिनों में उनकी रुचि विदेशी मामलों में थी।जनसंघ ही भारतीय जनता पार्टी थी। प्रखर विद्वान और कवि वाजपेयी की अनेक रचनाएं है। जिसका आज भी देश मे गूंजती रहती है। अटल बिहारी वाजपेयी चार दशकों से राजनीति में सक्रिय रहे थे। नौ बार लोकसभा में चुने जाने के बाद दो बार राज्यसभा में चुने गए थे। उन्होंने कीर्तिमान स्थापित किया। अज्ञात शत्रु ऐसे वाजपेयी ने 1980 में जनता पार्टी बनी थी। उस दौरान वे बतौर अध्यक्ष चुने गए थे। वाक्चातुर्य अटल बिहारी का भाषण मन लगाकर आज भी लोग सुनते है। उनकी शब्दों की गहराई और उनके भाषण में समानता की सुगंध आती थी।
उनका मानना था कि हम सब एक है।जातिवाद और संप्रदायवाद से ऊपर उठकर एकता और अखंडता की बात करते थकते नही थी। पाकिस्तान से बिगड़े रिस्तो को सुधारने के लिए 19 फरवरी 1999 को दिल्ली लाहौर बस सेवा शुरू की थी। अटल बिहारी उसी बस में बैठकर लाहौर गए थे। अटल सिद्धान्तवादी नेता थे। उनके जीवन मे ऐसा भी दौर रहा था कि किसी ने अटल बिहारी से सवाल किया था कि आप ने शादी क्यो नही की थी। उन्होंने हंस कर सवाल का जवाब दिया कि मैं देश की सेवा और कार्य मे व्यस्थ हूँ कि मुझे शादी करना याद ही नही रहा। पाकिस्तान में भाषण सुनकर नवाज शरीफ ने कहा कि वाजपेयी साहब आप तो पाकिस्तान में भी चुनाव जीत जाएंगे। पाकिस्तान में अटल बिहारी का स्वागत किया गया। अटल ने कहा कि यह दक्षिण एशियाई इतिहास में एक निर्णायक क्षण है और हमे चुनौती के लिए उठना होगा।
अटलजी राजनैतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 13 अक्टूबर 1999 को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले अकेले नेता थे। सौम्य स्वभाव और हमेशा मुस्कराहट उनके चेहरे से हटती नही थी। देश मे विरले ही होते है। जिनका विपक्ष और पड़ोसी देश भी आदर और सत्कार करता है। सदन में भाषण के दौरान उनके भाषण को सुना जाता था। उनके मन मे विपक्ष के लिए घृणा नही थी। वे हिलमिल कर भारत को शशक्त देखना चाहते थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ,जवाहरलाल नेहरू और राजीव गांधी की समय समय पर उनके कार्यकाल में किए सराहनीय कार्यो की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते थकते नही थे। बतौर नेता वाजपेयी ऊंचाइयों तक पहुंचे। कभी महज दो सीटों वाली भाजपा को उनके नेतृत्व में जनाधार बढ़चढ़ कर मिला कि आज भी अटल और आडवाणी के नाम लोगो के दिलोदिमाग में है।
जिव्हा में अमृत
मनुष्य की जिव्हा में ही अमृत और उसकी जिव्हा में ही विष है।अमृत की परिपूर्ण मधुर वाणी बोलकर मनुष्य हर एक का प्रिय पात्र बनकर प्रचुर रूप से लाभ अर्जित कर लेता है।सम्मान और अपमान वाणी में बसते है।अटल बिहारी ने सम्मान दिया तो सम्मान पाने की चाह में कभी उन्होंने कटु वचनों का उपयोग नही किया।आज हम देख रहे संघर्षो का जन्म ही इसलिएं होता है कि वाणी का विवेक नही होता है।13 महीने और उसके बाद 2004 तक उन्होंने कार्यकाल पूर्ण किया।उन्होंने साबित किया कि गठबंधन सरकार भी आपसी रिस्तो और वाणी में अमृत बरसा कर सरकार को सफलता पूर्वक चलाया जा सकता है।
राष्ट्रनेता का राष्ट्र संत को नमन
साधु कल्पवृक्ष है जो समाज और राष्ट्र की भावना को समझकर ही देता है।जिस राष्ट्र में जितने अधिक साधु होंगे,वह राष्ट्र उतना ही अधिक शांतिप्रिय व सुखी होगा।वैदिक संस्कृति और श्रमण संस्कृति का राष्ट्र के साथ एकाकार रहा है।जिस तरह राजा महाराजा साधु संतों को महलों में आमंत्रित कर उनके द्वारा सुझाए गए राजकाज का बखूबी पालन करते थे।जिस तरह वैदिक संस्कृति में साधु संतों का अभिवादन करने राजनेता समय समय पर उनके आश्रम पहुंचते गया।वैसे ही जैन मुनि के दर्शन लाभ लेकर राजनीति में राष्ट्रहित का अपना दाहित्व निभाते है। राष्ट्रसंत गणेशमुनि शास्त्री प्रखर विद्वान संत थे।स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के अध्यात्म गुरु का अभिवादन अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।संतो को हर समय राष्ट्रहित में मार्गदर्शन किया है।संतो ने ही धर्म की महिमा को दूर दूर तक पहुंचाया है।जिस प्रकार सिंधु का जल बिंदु से संबंध है,वैसा ही समाज,राष्ट्रहित के साधु का संबन्ध है।
वाजपेयी ने परियोजना शुरू की
वाजपेयी ने सड़क परियोजना लागू कर ग्रामीण अंचलों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की गई।देश मे आर्थिक रफ्तार दी गई।आज भी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना राज्य सरकारें अपने अपने बूते चला रही है।छह से 14 साल के बच्चो को सर्व शिक्षा अभियान वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुआ।1974 में परमाणु परीक्षण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुआ था।उसके बाद 1998 में परमाणु परीक्षण करने वाले दूसरे नेता अटल बिहारी वाजपेयी थे।उपरोक्त परीक्षण के बाद विश्व की महासत्ता अमेरिका आदि देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया।लेकिन भारत के लोकप्रिय नेता अटल बिहारी ने कोई परवाह नही की थी।
लाहौर आगरा समिट और कांधार कारगिल की नाकामी
कारगिल से नफरत फैल गई।पाकिस्तान से रिस्ते सुधारने के लिए बस सेवा शुरू की थी।लेकिन पाकिस्तान ने विश्वास में रखकर कारगिल में पाकिस्तान सेना ने भारत मे घुसपैठ कर दी।यह बहुत बड़ा धोखा था।आज भी देश भूला नही है।पांच चरमपंथियों ने संसद पर हमला कर दिया था।13 दिसम्बर 2001 का काला अध्याय लिखा गया था।उस दौरान पोटा कानून बनाया गया।संविधान आयोग का गठन ,राजधर्म का पालन करने का आदेश और जातिवार जनगणना पर रोक आदि उनके कार्यकाल में महत्वपूर्ण फैसले देशहित मे लिए गए। आज भी देश उनको याद करते थकता नही है।
( कांतिलाल मांडोत )