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भाजपा संगठन ने चुनावी प्रदेशो में कमल खिलाने के लिए कस ली कमर

हर दल अपनी गणित में लगा है

पांच राज्यो के चुनाव में हर एक दल विश्लेषण करने लग गया है। हर दल अपनी गणित में लगा है। समर्थकों को फिर पांच राज्य के चुनावों में गिनती करते देखे जा सकते है। यूपी पर आस लगाए बैठे राजनीतिक दलों ने टिकट बांटना शुरू कर दिया है। कांग्रेस प्रियंका वाड्रा ने यूपी में 125 टिकट की घोषणा में 40 फीसद महिलाओं के लिए टिकट आवंटित किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने टिकट आवंटित किए है। पांचों राज्यो के उम्मीदवारों को जल्दी से नाम तय हो उसकी उतावल है क्योंकि अपने क्षेत्रों में लौटे और काम शुरू करे। कार्यकर्ताओ,समर्थकों,स्थानीय नेताओं,बागियों और बाहरी उम्मीदवारों के बीच संतुलन बनाना खासकर समाजवादी पार्टी के लिए डेढ़ी खीर है।

यू तो गोवा,उतराखण्ड, मणिपुरी में भाजपा की सरकार है। जिसके लिए भाजपा ने जमीनी स्तर पर कार्य किया है। पार्टी में मनमुटाव और बागी तेवर पंजाब कांग्रेस के लिए राह आसान नही है। वोट खींचने वाले कैप्टन को बुरी तरह से मुख्यमंत्री का पद छीन लिया गया। उससे पार्टी में एक भेदभाव की दीवार खड़ी कर दी है। गोवा में खुद के दम पर भाजपा की सरकार है। इस बार पंजाब और यूपी में पटखनी देने के लिए भाजपा की पूरी तैयारी है। समाजवादी पार्टी के मुठ्ठी भर लोग मीडिया के सामने आकर किसान बताकर मोदी विरोधी नारा लगाते है। लेकिन समाजवादी पार्टी के पास यूपी का विकास मॉडल है या पिछले सरकार के कार्यकाल में कुछ उपलब्धि हासिल की हो तो देश जानना चाहता है। किसान का पक्ष लेकर पुरजोर विरोध करने वाली कांग्रेस के शासन में यूपी 30 साल बेहाल का नारा इनके विकास मॉडल का नारा था? यूपी चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए प्रादेशिक पार्टीया यूपी में धमाचौकड़ी मचाने वाली है।

ये सभी दल रंग में भंग जरूर डालेंगे। ये वो दल है जो हिंदुत्व को बढ़ावा नही देना चाहते है। धर्मनिरपेक्षता के दम पर जनता से वोट मांगते है। यूपी चुनाव में छोटे दल वोटो में सेंघ मारने की तैयारी कर रहे है। इस बार सभी दलों की गणित गड़बड़ाने से समीकरण बिगड़ने की संभावना है। भाजपा के जिम्मे विकास है। विकास के एवज में भाजपा वोट मांगने निकली है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का शासन जनता कई बार देख चुकी है। आज समाजवादी पार्टी भाजपा के सभी विकास कार्यो का श्रेय ले रही है। जो भाजपा ने यूपी में विकास किया है ।

अखिलेश कहते है कि ये सभी विकास के कार्य हम करने वाले थे। राम मंदिर का निर्माण हम करने वाले ही थे तो किया क्यो नही। अखिलेश यादव और अपने पिताश्री का 1980 से यूपी की सत्ता में विशेषाधिकार रहा है। मुलायम सिंह यादव मुसलमानो में अपने आदमी की छाप छोड़ कर बैठे है। आज भी मुस्लिम समाज भाजपा के साथ है। चुनाव का बिगुल बज गया है। अब रणभेरी भी बजने वाली है तब देखना है कि जनता किस पार्टी को सत्ता की चाबी सौंपती है और किसको धूल चटाती है। चुनाव नतीजों के बाद ही खबर पड़ेगी।

( कांतिलाल मांडोत )

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