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फोस्टा ने व्यापारियो के लिए एमएसएमई को लेकर जारी किए दिशा- निर्देश

पिछले दिनों एमएसएमई पर सेमिनार का भी आयोजन किया गया

सूरत। कपड़ा बाजार का संगठन फोस्टा व्यापारियो में एमएसएमई के प्रावधानों को लेकर जागरूकता लाने का प्रयास कर रही है। पिछले दिनों एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया था। जिसमें शहर के सीए ने व्यापारियों को मार्गदर्शन किया था। अब फोस्टा ने एसओपी जारी कर व्यापार करते समय कौनसी सावधानी बरतनी चाहिए इसको लेकर सलाह दी है।

फोस्टा ने व्यापारी को अपने कंप्युटर के मास्टर डाटा में एमएसएमई से संबंधित सारी जानकारी रखने को कहा है, जिससे एम.आई.एस . रिपोर्ट आसानी से मिलती रहे। इसके लिए कंप्युटर सॉफ्टवेयर वाले से उद्यम नंबर, केटेगरी, नेचर ऑफ बिजनस ओर पैमन्ट डेज टर्म्स का कॉलम भी मास्टर डाटा में डालने को कहा गया।

सप्लायर चाहे वस्तु का हो या सेवा का उसको ईमेल या अन्य माध्यम जिसका रिकॉर्ड आप रख सकते हो। मालूम कर लीजिये की वो उद्यम में रजिस्टर्ड है क्या? यदि रजिस्टर्ड है तो कोनसी केटेगरी में आते है जैसे कि माइक्रो, स्माल आदि। यदि रजिस्टर्ड है तो कोनसी श्रेणी मसलन उत्पादक, ट्रेडर या सर्विस। इसकी जानकारी रखने को कहा गया।

किसी भी सप्लायर का रिप्लाई आपको मिल जाता है उसका रिकॉर्ड अपने कंप्यूटर में क्लाइंट मास्टर डाटा में डालने और सर्टिफिकेट की एक कॉपी अपनी मास्टर फाइल में रखने की सलाह दी है।

क्लाइंट मास्टर डाटा में बिल वाइज डू डेट भी नोट करने और एकाउंटिंग सॉफ्टवेर में मॉडिफिकेशन करवाने को कहा है। यदि सप्लायर से फॉर्मल अग्रीमेंट कर सकते है तो काफी अच्छा रहेगा क्योंकि उस परिस्थिती में आप डू डेट को 45 दिन तक रख सकते है।

यदि किसी कारणवश सप्लायर से डिस्प्यूट है तो वो डिस्प्यूट लिखित रूप में होना चाहिए।

वहीं साल के अन्त में सुनिश्चित कर लेवे की ऐसे किसी भी सप्लायर का अंडिस्प्यूटेड पेमेंट बाकि नहीं है जिसकी डू डेट निकल गयी है।

एकरूपता के लिए एक नो योर सप्लायर का फॉर्मैट भी दिया जा रहा है। अपने कंसलटेंट से डिस्कस करके यह फॉर्मैट भी प्रयोग करने को कहा गया है।

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