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ICMR के विशेषज्ञ पैनल ने ओमिक्रोन को लेकर किया यह दावा, जानें

देश में Omicron वेरिएंट के कुछ मामले सामने आए हैं। अगले कुछ दिनों में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ सकती है। वायरस का यह उत्परिवर्तित रूप न केवल अधिकांश लोगों को संक्रमित करता है बल्कि उन पर अपनी असर भी छोड़ता है। ICMR के वैज्ञानिकों का दावा है कि वायरस के इस बदले रूप का आक्रमकता इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। आईसीएमआर के चीफ एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर समीरन पांडा ने कहा कि यह वायरस बेहद संक्रामक है और इससे ज्यादा घातक नहीं हो सकता। ऐसा सिर्फ सबूतों पर ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों पर भी कहा जा रहा है। इस वजह से लोगों को बिना वजह वायरस के इस बदले हुए रूप से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि सावधान रहना बेहद जरूरी है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुख्य महामारी विशेषज्ञ के अनुसार ओमिक्रोन वेरिएंट से लेकर डेल्टा और अन्य वेरिएंट तक के अध्ययनों में पाया गया है कि बदले हुए रूप में इनवेसिव वेरिएंट के अधिकतम प्रसार वाले लोगों का लोगों पर कम प्रभाव पड़ता है। कारण बताते हुए डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि बदले हुए रूप में लक्षण हल्के होते हैं और उच्च संक्रामक संख्या वाले लोग अपना प्रभाव ज्यादा नहीं दिखा सकते हैं। डॉ. समीरन पांडा ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि जो वायरस अधिक घातक है और अपने होस्टन (संक्रमित व्यक्ति) को मारता है तो मृत व्यक्ति से संक्रमण फैलने का जोखिम नगण्य है। ऐसे मामलों में संक्रमण का स्तर उतनी तेजी से नहीं फैलता जितना कि ओमिक्रोन रूप के शुरुआती मामलों में होता है।

डॉ. समीरन पांडा ने दावा किया कि अत्यधिक टीकाकरण और कोविड से बचाव के लिए बनाई गई गाइडलाइन भारत में सामने आए सभी मामलों से निपटने का सबसे बड़ा कवच है। उन्होंने कहा कि यह वेरिएंट पिछले वेरिएंट की तरह ही फैलता है। तो वही उपाय और नियम जो अगले वेरिएंट से बचने के लिए थे, वे भी इसमें लागू होंगे। इसलिए डरना बंद करें और महामारी से बचने के लिए दिए गए सुझावों का पालन करें।

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