धर्म- समाज

परमात्मा का क्रिएटिव नेचर और गुरू का कनेक्टिव नेचर यदि जीवन में आ जाए तो जीवन स्वर्ग जैसा हो जाता है: जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज

सूरत। श्री कैलासनगर जैन संघ के प्रांगण में पूज्यपाद आचार्य देव श्री अपराजितसूरीश्वरजी महाराज प्रवचन पूज्यपाद आचार्य देव श्री जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में एक सुंदर धर्म सभा का आयोजन किया गया। पूज्यश्री ने कहा कि किसी भी धर्म की नींव ईश्वर और गुरु पर होती है। देव की शक्तिशाली रचनात्मक प्रकृति है और गुरू में कनेक्टिव नेचर पावरफूल होती है। ईश्वर आपमें गुणों का विकास करता है। ऐसी गुणवत्ता हमारे जीवन में लाने जैसी है। यदि दूसरों में शक्ति विकसित करने की शक्ति हमारे अंदर आ जाए तो सैकड़ों लोग आपसे लाभान्वित होंगे।

जब एक बच्चे को स्कूल से निकाल दिया गया, तो रचनात्मक स्वभाव वाली एक मां ने प्रिंसिपल से कहा, ‘आपके पास मेरे बच्चे की शक्ति को बाहर लाने का कौशल नहीं है। याद रखना जिस दिन मेरा बेटा विश्व में ख्याति प्राप्त करेंगा तब उसकी शक्ति का परचम पूरे दुनिया को पता चलेगा। तब आप देखते रह जाएंगे। मां ने वात्सल्स से बेटे के सिर पर हाथ घुमाते हुए कहा बेटा तेरे में प्रचंड शक्ति है बस अब तुझे काम पर लग जाना है। माँ की उत्साहवर्धक प्रेरणा और बेटे के सफल उदाहरण से बेटे ने लाइट बल्ब का आविष्कार किया और दुनिया भर में थॉमस एडिसन के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

अतः प्रत्येक व्यक्ति में ईश्वर का रचनात्मक स्वभाव और गुरु का संयोजक स्वभाव भी होना चाहिए। यह स्वभाव हर व्यक्ति में साझा होता है। जैसे गुरु देवधर्म से जोड़ता है, वैसे ही प्रकृति से भी जोड़ना चाहिए। जिससे बेटा-बहू-पत्नी आदि हमेशा परिवार से जुड़े रहेंगे। और जिस व्यक्ति के परिवार में संपर्क अधिक है उसे भगवान-गुरु से प्रार्थना करनी चाहिए कि भगवान और गुरु दोनों का स्वरूप हमारे अंदर आ जाए ताकि व्यक्ति कभी भी किसी भी क्षेत्र में पीछे न हटे।

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