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ऑडिटेड केस में हर व्यापारी को निम्नलिखित पॉइंट्स चेक करना होता है जरूरी

इनकम टैक्स की ऑडिट के चंद दिन ही बाकी रह गए है। नारायण शर्मा टैक्स कंसलटेंट ने बताया कि टैक्सपेयर्स को अपनी ऑडिट अगर पूरी तरह से चेक करके रिटर्न फाइल करते तो काफी हद तक आयकर विभाग की करवाई से बच सकते है।

निम्नलिखित पॉइंटस

जीएसटीआर-1 से बुक्स का टर्नओवर का मिलान करना।

जीएसटीआर-1व जीएसटीआर-3बी से मेच करना।

जीएसटीआर-2बी से बुक्स के साथ मिलान करना।

फॉर्म 26एएस के अनुसार टीडीएस का मिलान करना।साथ ही एआईएस व टीआईएस से अपनी इनकम को बुक्स के साथ मैच कर लेवे।

पिछले वित्त वर्ष से आगे बढ़ाए गए टीडीएस और अगले वित्त वर्ष में ले जाए गए टीडीएस की जांच करना।

जीएसटी कैश लेजर चेक करना।

जीएसटी देनदारी बही-खाता से मिलान करना।

जीएसटी क्रेडिट लेजर बुक्स से मिलान करना।

बैंक रेकॉलेसन बनाना।

केस बुक्स में ये जांचें कि कही पर भी केस नेगिटिव तो नहीं है।

नकद में खरीदी गई नकद व्यय/स्थिर संपत्तियों के लिए चेक करना कि 10 हजार की सीमा से अधिक तो नही है।

काटे गए टीडीएस की जांच करें, की टीडीएस रिटर्न में दाखिल किया गया हैं या नही।

मार्च 2023 में बुक में किए गए जमा खर्च के टीडीएस की जाँच करें।

पिछले साल से इस साल में किये गए खर्चों की तुलना की जाँच करें।

अपने देनदारों और लेनदारों की आउटस्टैंडिंग का मिलान करे व अगर किसी पार्टी का ट्रांजेक्शन ज्यादा है तो उसका लेजर की पुष्टिकरण कर लें।

पिछले साल में चुकाए गए आयकर इस साल में इंट्री की हैं या नही जांच करे।

संबंधित पार्टी के लेनदेन की जाँच करें।

लगभग इन सभी पॉइंटस को ध्यान में रखते हुए अपनी बुक्स की ऑडिट करावे।व इनकम टैक्स के झमेलों से बचे।

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