
निरंकारी भक्त तीन दिन जुड़े रहे वर्चुअल निरंकारी संत समागम से
वास्तविक मनुष्य बनने के लिए मानवीय गुणों को अपनाना आवश्यक: सुदीक्षाजी महाराज
यदि हम वास्तव में मनुष्य कहलाना चाहते हैं तो हमें मानवीय गुणों को अपनाना होगा। इसके विपरीत यदि कोई भी भावना मन में आती है तो हमें स्वयं का मूल्यांकन करना होगा और सूक्ष्म दृष्टि से मन के तराजू में तोलकर उसे देखना होगा। ऐसा करने से हमें यह एहसास होगा कि हम कहां पर गलत हैं। यह प्रेरदायी विचार निरंकारी सदगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 54 वें प्रादेशिक निरंकारी संत समागम के समापन पर व्यक्त किए।
स्थानीय सूरत जोन के जोनल इंचार्ज ओंकार सिंह ने बताया कि तीन दिवसीय संत समागम इस वर्चुअल रूप में आयोजित किया गया जिसका सीधा प्रसारण निरंकारी मिशन की वेबसाइट एवं संस्कार टीवी चैनल के माध्यम द्वारा हुआ। जिसका देश-विदेश के लाखों निरंकारी भक्तों के साथ ही सूरत जोन हजारों श्रद्धालु भक्तों ने घर बैठे भरपूर आनंद प्राप्त किया।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का 54 वां प्रादेशिक निरंकारी संत समागम, जीवन को नई दिशा, उर्जा एवं सकारात्मकता दे गया। सदगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने यथार्थ मनुष्य बनने के लिए हमें हर किसी के साथ प्यार भरा व्यवहार, सबके पति सहानुभूति, उदार एवं विशाल होकर दूसरे के अवगुणों को अनदेखा करते हुए उनके गुणों को ग्रहण करने की सीख दी।
उन्होंने कहा कि जो मानवीय गुण है उनको भी धारण करके जीवन सुखमयी व्यतीत करना है, वहीं सबको समदृष्टि से देखते हुए एवं आत्मिक भाव से युक्त होकर दूसरों के दुख को भी अपने दुख के समान मानना होगा।
उन्होंने कहा कि मनुष्य स्वयं को धार्मिक कहता है और अपने ही धर्म के गुरू-पीर-पैगम्बरों के वचनों का पालन करने का दावा भी करता है। परंतु वास्तविकता तो यही है कि आपकी श्रद्धा कहीं पर भी हो, हर एक स्थान पर मानवता को ही सच्चा धर्म बताया गया है और ईश्वर के साथ् नाता जोडक़र अपना जीवन सार्थक बनाने की सीख दी गई है।