धर्म- समाज

माता-पिता बच्चे को धन ही नहीं संस्कार देने चाहिए: आचार्य जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज

सूरत। श्री अठवा लाइंस जैन संघ के आंगन में आचार्य जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज, पू. पं . विमलहंस की निश्रा में धर्मसभा का आयोजन किया गया। आचार्य जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज ने कहा कि आज विश्व की सबसे बड़ी आवश्यकता बच्चों को संस्कार देने की है यदि आप अपने बच्चे को संस्कार नहीं दे सकते तो आपका भविष्य बहुत ही खतरनाक है। आजकल के माता-पिता जब बच्चें छोटे होते हैं तो अपनी ही दुनिया में रहते हैं और बच्चे को मोबाइल फोन पर निर्भर छोड़ देते हैं।

शादी के 10-12 साल बाद वे बच्चे पर ध्यान नहीं देते और उनकी आंखें तब खुलती हैं जब बेटे के कुलकंस दिखाई देने लगते हैं और फिर उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिशें शुरू हो जाती हैं। लेकिन फिर बुरे दोस्तों के कारण बच्चे का दिमाग इतना खराब हो जाता है कि उसे ठीक करने की कोई संभावना नहीं रहती और अपने बेटे को रोज-ब-रोज टोकना शुरू कर देते है। अनन्त पुण्य एकत्रित होने पर जीव को मनुष्य योनि मिलती है और वह आर्य देश में जन्म लेता है।

अब आपके घर में जन्मे ऐसे महान मेधावी बालक को हम कौन से संस्कार देते हैं जिससे उसे बार-बार मनुष्य योनि और आर्य कुल की प्राप्ति होती है। वहां वह साधना के माध्यम से मोक्ष के मार्ग पर जा सकता है? जवाब ना है; इसके विपरीत, आज के माता-पिता बच्चे के शरीर की तो चिंता करते हैं और उसे भविष्य में सुखी बनाने का प्रयास करते हैं, परंतु उसकी आत्मा और परलोक की चिंता नहीं करते। जन्म से ही बच्चे को 1) समय दें, सिर्फ धन नहीं 2) प्यार दें, नफरत नहीं 3) संस्कार दें, सिर्फ सुविधा नहीं। फिर देखना वह बच्चा शिवाजी महाराजा-महाराणा प्रताप-चंद्रशेखर आजाद-संप्रति महाराजा बने बिना नहीं रहेगा।

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