प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने साहसिक स्कूबा डाइविंग करके और गहरे समुद्र में डूबी पौराणिक नगरी द्वारिका को देखकर प्राचीन भव्यता और दिव्यता का अनुभव किया। प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने स्कूबा डाइविंग करके गहरे समुद्र में भगवान कृष्ण की प्राचीन नगरी के द्वार देखे थे, जिसे साहसिक माना जाता है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप में साहसिक स्कूबा डाइविंग भी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि द्वारिका नगरी पर पुरातत्वविदों ने कई शोध किए हैं। जिसके कारण मेरे मन में प्राचीन द्वारिका के दर्शन और भ्रमण की लालसा थी, मेरा स्वप्न आज साकार हो गया। आज जब मुझे भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र भूमि पर पहुंचने का अवसर मिला तो मैंने समुद्र में स्थित प्राचीन द्वारिका नगरी को देखा और प्राचीन भव्यता एवं दिव्यता का अनुभव किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दर्शन के दौरान मेरी आंखों में 21वीं सदी के भारत के वैभव की छवि भी घूम रही है। प्राचीन द्वारका नगरी को देखने के बाद विकसित भारत का मेरा संकल्प और मजबूत हो गया है। सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर आस्था और पर्यटन का एक और मोती जुड़ गया है। गुजरात सरकार पर्यटकों को स्कूबा डाइविंग के माध्यम से मूल द्वारिका का दर्शन कराने के लिए प्रतिबद्ध है। सौराष्ट्र के अरब सागर तट पर सोमनाथ, माधवपुर, पोरबंदर, द्वारका, शिवराजपुर बीच, नागेश्वर और सुदर्शन सेतु पर्यटन विभाग को बढ़ावा दे रहे हैं। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारका के गहरे समुद्र में साहसिक स्कूबा डाइविंग करते नजर आए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्राचीन द्वारका का उल्लेख शास्त्रों में भी है। भगवान विश्वकर्मा ने द्वारिका नगरी का निर्माण किया था, जो भारत की सर्वश्रेष्ठ नगरी का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि द्वारकाधाम को आस्था से नमन करते हुए कहा कि यहां भगवान श्रीकृष्ण द्वारकाधीश के रूप में विराजमान हैं। यहां जो कुछ भी होता है वह द्वारका की इच्छा से होता है। आदि शंकराचार्य ने यहां शारदापीठ की स्थापना की थी। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रुक्मणि मंदिर यहां आस्था के केंद्र हैं।