सूरत

श्रमिकों की कमी से जूझ रहा रियल एस्टेट, बंद हो रहे प्रोजेक्ट

कोरोना का असर सभी उद्योग-धंधे दिखायी दे रहा है। सूरत शहर डायमंड उद्योग, कपड़ा उद्योग के बाद अब रियल एस्टेट श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है। क्योंकि कोरोना और लॉकडाउन होने के डर से रियल एस्टेट से जुड़े ज्यादातर श्रमिकों ने गांव की राह पकड़ी है। श्रमिकों का पलायन का असर सीधा रियल एस्टेट कारोबार पर पड़ा है। इसके कारण कई प्रोजेक्ट बंद पड़े है और जो शुरू है उनकी गति धीमी हो गई है। अगर श्रमिकों का पलायन ऐसा ही होता रहा था रियल एस्टेट इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है। हीरा, कपड़ा उद्योग से जुड़े उत्तर प्रदेश, बिहार,छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश के कई वतन चले गए है। दिवाली के बाद रियल एस्टेट में खरीदी का माहौल बना था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर से वह फिर से ठंडा हो गया। श्रमिकों में कोरोना और लॉकडाउन होने के डर से पलायन शुरू कर दिया है।

रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े ज्यादातर श्रमिक गोधरा,पंचमहाल आदि क्षेत्र के हैं। उनके गांव चले जाने से रियल एस्टेट श्रमिकों की कमी के कारण कई प्रोजेक्टों को बंद करने की नौबत आयी है, तो कुछ प्रोजेक्ट पर जितने है उतने श्रमिकों में काम चलाया जा रहा है। इस वजह से काम की गति धीमी पड़ गई है।

क्रेडाइ के मुताबिक कोरोना के बाद लो और सीमेंट के दामों में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस बीच श्रमिकों की कमी से रियल एस्टेट कारोबार प्रभावित हो रहा है। शहर में 250 साइट चल रही है, जिसमें ज्यादातर रेजिडेंशियल साइट है। अभी प्रोजेक्ट की गति धीमी  हो गई, जिससे प्रोजेक्ट को पूर्ण होने में समय लगेगा। गौरतलब है कि पिछले बार कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा थ तब श्रमिक वतन चले गए थे, उन्हें वापस बुलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अगर फिर से श्रमिक गांव चले गए तो उन्हें वापस लाना मुश्किल होगा।

 

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