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अनुसूचित जनजाति के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उमरपाड़ा तालुका के वाड़ी गांव में संचालित है सैनिक स्कूल

सैनिक स्कूल में 372 आदिवासी छात्र-छात्राएं भोजन, आवास सहित कर रहे हैं अध्ययन

सूरत : राज्य सरकार आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, रोजगार, आर्थिक उन्नति और सामाजिक उत्थान के चार आयामी प्रयासों के कारण आदिवासी युवा विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। आदिवासी बहनें भी शिक्षा के साथ-साथ स्वरोजगार के लिए सक्षम और जागरूक बनी हैं।

आदिवासी समाज के लोगों का सामाजिक–आर्थिक विकास हो, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और साक्षरता दर में वृद्धि हो, इस उद्देश्य से गुजरात राज्य ट्राइबल एजुकेशन सोसाइटी द्वारा राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में 105 विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इनमें 48 एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल, 43 कन्या साक्षरता आवासीय विद्यालय, 12 मॉडल डे स्कूल और दो सैनिक स्कूल शामिल हैं, जो राज्य के 15 आदिवासी जिलों में कार्यरत हैं।

राज्य सरकार के आदिवासी विकास विभाग के अंतर्गत गुजरात राज्य ट्राइबल एजुकेशन सोसाइटी द्वारा सूरत जिले के उमरपाड़ा तालुका के वाड़ी (बिलवण) गांव में सैनिक स्कूल संचालित किया जा रहा है। इसके माध्यम से आदिवासी बच्चों का ‘सैनिक’ बनकर राष्ट्रसेवा करने का सपना साकार हो रहा है।

सैनिक स्कूल के प्राचार्य श्री जयदीपसिंह राठौड़ बताते हैं कि इस परिसर में तीन स्कूल संचालित हैं। सैनिक स्कूल में कक्षा 6 से 12 तक 173 बालक और 199 बालिकाएं – कुल 372 छात्र-छात्राएं गुजरात बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं। यहां भोजन, आवास तथा अन्य सभी सुविधाओं के साथ नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है।

कक्षा 11 और 12 में विज्ञान संकाय की पढ़ाई भी उपलब्ध है। साथ ही कार्यकारी विद्यालय के रूप में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल–उमरपाड़ा के 60 विद्यार्थी और मांगरोल के 259 विद्यार्थी आवासीय सुविधा के साथ अध्ययन कर रहे हैं। इस प्रकार कुल 691 विद्यार्थी भोजन, निवास और नि:शुल्क अध्ययन की सुविधा प्राप्त कर रहे हैं।

वे आगे बताते हैं कि सैनिक स्कूल की शुरुआत वर्ष 2017 में बारडोली के मोटा गांव में हुई थी। जून 2023 में राज्य सरकार ने वाड़ी गांव में लगभग ₹50 करोड़ की लागत से आधुनिक मैदान सहित 20 एकड़ भूमि पर सैनिक स्कूल का निर्माण कराया और यह स्कूल वहीं स्थानांतरित हुआ। इस परिसर में अध्ययन हेतु आधुनिक भवन, मेस, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सहित 400 मीटर का मैदान, लाइब्रेरी, केमिस्ट्री, फिजिक्स और बायोलॉजी लैब, कंप्यूटर लैब जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। स्कूल में 48 कमरे और 23 स्मार्ट क्लासरूम हैं।

सैनिक स्कूल में विद्यार्थियों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए विविध गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। वर्ष 2023-24 में कक्षा 10 (एसएससी) का परिणाम 95.91% और कक्षा 12 (एचएससी) का परिणाम 81.81% रहा है।

प्राचार्य के अनुसार, प्रत्येक विद्यार्थी के लिए सरकार द्वारा प्रति वर्ष ₹72,000 की ग्रांट दी जाती है। विद्यार्थियों को सेवानिवृत्त सूबेदार और हवलदार द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। स्कूल में 19 शैक्षणिक और 7 गैर-शैक्षणिक – कुल 26 स्टाफ कार्यरत हैं। यहां JEE और NEET की कोचिंग कक्षाएं भी आयोजित की जाती हैं। हाल ही में मांगरोल के विधायक श्री गणपतसिंह वसावा ने स्कूल में उपकरणों की आपूर्ति हेतु ₹40 लाख की ग्रांट मंजूर की है।

प्राचार्य जयदीपसिंह स्कूल की दिनचर्या की जानकारी देते हुए बताते हैं कि सुबह 5:00 से 6:00 बजे तक फिजिकल ट्रेनिंग होती है, 7:00 बजे नाश्ता, 8:00 से 2:15 बजे तक कक्षाएं, 2:15 से 4:00 बजे तक अतिरिक्त कक्षाएं और गतिविधियां होती हैं। प्रतिदिन शाम 4:00 से 5:00 बजे तक परेड और उसके बाद 1 घंटा खेलकूद होता है। शाम 6:30 से 7:30 बजे तक रात्रि भोजन और रात 8:00 से 10:30 बजे तक स्वाध्याय होता है। सप्ताह में तीन दिन कराटे कक्षाएं भी चलाई जाती हैं। पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कबड्डी, वॉलीबॉल, खो-खो जैसी विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाता है।

प्रवेश प्रक्रिया के बारे में वे बताते हैं कि कक्षा 6 में प्रवेश के लिए अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए एकलव्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित किया जाता है, उसके बाद मेडिकल परीक्षण लेकर मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।

कक्षा 11 में विज्ञान संकाय में अध्ययन कर रहे व्यारा के निवासी ग्रामीत निल दिनेशभाई बताते हैं कि सैनिक स्कूल में अध्ययन से बच्चों में अनुशासन और चरित्र निर्माण होता है। उन्होंने राज्यस्तरीय 200 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान और राष्ट्रीय स्तर पर पांचवां स्थान प्राप्त किया है। सैनिक स्कूल में पढ़ाई और नियमित शारीरिक कसरत से अनुशासन के गुण विकसित हुए हैं। उनका सपना है कि भविष्य में वे अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक खेलों में भाग लें।

कक्षा 8 में पढ़ाई कर रही दिव्याबेन धमेन्द्रभाई पंगी कहती हैं कि मैं पिछले दो वर्षों से इस विद्यालय में पढ़ रही हूं। यहां आकर मुझे बहुत कुछ नया सीखने को मिला है। सुबह से लेकर शाम तक पढ़ाई के साथ-साथ व्यायाम, परेड जैसी गतिविधियाँ करवाई जाती हैं, जिससे हम शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनते हैं। दिव्या ने कहा कि उसका सपना है कि वह भविष्य में आर्मी ऑफिसर बनकर देश की सेवा करे।

वहीं अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि अब तक हमारे बच्चों का सैनिक बनकर देश सेवा करना सिर्फ एक सपना था, लेकिन राज्य सरकार की दूरदृष्टि के कारण आज हमारे बच्चे सैनिक स्कूल में अध्ययन कर अपने सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

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