धर्म- समाज

मोह त्याग से ही मोक्ष संभव – आचार्य महाश्रमण

आगामी 26 नवंबर को गुरुदेव का प्रवास अमरोली, 27 को कतारगाम, 28,29 को अडाजन पाल में

सूरत (गुजरात)। अहिंसा यात्रा प्रणेता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज एक दिवस हेतु पर्वत पाटिया पदार्पण हुआ। तीन दिवसीय प्रवास प्रदान कर आचार्य श्री ने सिटीलाइट तेरापंथ भवन से प्रातः मंगल प्रस्थान किया। आज के विहार पथ में अध्यात्म ज्योति आचार्य शिवमुनि जी से पुनः आध्यात्मिक मिलन का सुखद संयोग बना। एक दिन पूर्व रविवार को ही स्थानकवासी श्रमणसंघ के आचार्य शिवमुनि जी का तेरापंथ भवन में समागमन हुआ था। आज उनके प्रवास स्थल पर गुरूदेव का पदार्पण परस्पर आत्मीयता के दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। प्रायः आचार्य प्रवर प्रथम तल पर कम ही पधारते है, किन्तु आज अनूठा नजारा देखने को मिला आचार्य शिवमुनि जी से आध्यात्मिक भेंट हेतु आचार्यश्री उनके प्रवास स्थल के प्रथम तल पर पधारे।

दोनों महापुरुषों का आत्मीय मिलन देख श्रद्धाल जयकारों से इस एकतामय दृश्य की सराहना कर रहे थे। इस दौरान आचार्यश्री शिवमुनि जी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी की यात्रा के प्रति मंगलकामना व्यक्त की। संक्षिप्त कार्यक्रम पश्चात गुरुदेव ने वहां से प्रस्थान किया। मार्ग में विभिन्न जगह श्रद्धालुओं को मंगलपाठ प्रदान करते हुए परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी पर्वत पाटिया के तेरापंथ भवन में पधारे।

मंगल प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा – हमारे जीवन में सम्यक ज्ञान व सम्यकत्व रत्न की प्राप्ति होना एक विशेष उपलब्धि होती है। वर्तमान समय में आध्यात्म विद्या भी ज्ञान हो। लौकिक विद्याओं के साथ यह लोकोत्तर विद्या भी जानी जाए। सम्यक्त्व भी इसी से सम्बद्ध तत्व है। आज मिगसर कृष्णा दशमी का दिन है और आज का दिन भगवान महावीर का दीक्षा-कल्याणक दिवस है। प्रभु महावीर ने दीक्षा ग्रहण करते हुए आज के दिन यह संकल्प लिया कि आज के बाद सब पाप कर्म मेरे लिए अकरणीय होंगे। सन्यास व चारित्र के हीरे के सामने सारे रत्न तुच्छ हैं। संन्यास जीवन में महाव्रत रूप हीरा जिसे प्राप्त हो जाता है उसे फिर यह अन्य हीरे, मोती तुच्छ लगते है। भगवान महावीर ने अपने जीवन में कितने कष्ट व संघर्षों का सामना किया। मोह त्याग से ही मोक्ष संभव है, दुःख मुक्ति संभव है।

कार्यक्रम में साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने उद्बोधन प्रदान किया। 50 वें दीक्षा दिवस पर साध्वी श्री वर्धमानश्री जी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति गुरू चरणों में प्रस्तुत की। स्वागत के क्रम में पर्वत पाटिया तेरापंथ सभाध्यक्ष  गौतम ढेलडिया ने अपने विचार रखे। तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल से पृथक पृथक गीतों का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने स्वागत में प्रस्तुति दी। विद्रोही आवाज के उपसंपादक  राजू तातेड़ ने विद्रोही आवाज़ समाचार पत्र चातुर्मास दौरान के समाचार कवरेज की फाइल गुरूदेव को निवेदित की। मुख्य मुनि महावीरकुमारजी ने परवत पाटिया की अलग 2 सोसायटियों में श्रावकों की सार संभाल ली।

आगामी 26 नवंबर को गुरुदेव का प्रवास अमरोली, 27 को कतारगाम, 28,29 को अडाजन पाल में संभावित है।

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