सूरत: मांगरोल तालुका के बोरिया गांव में सरकार के जलसंचय अभियान से विकास के नए द्वार खुले हैं। बोरिया गांव, जहां गर्मियों और सर्दियों में पानी की बहुत किल्लत थी, अब वहां पानी की समस्या दूर हो रही है। साथ ही किसानों और मजदूरों के लिए विकास के नए अवसर बन रहे हैं। यह अभियान केवल ग्रामीणों के लिए जलसंचय का साधन नहीं है, बल्कि यह रोजगार, आर्थिक विकास और खेती की व्यापक संभावनाएं भी पैदा कर रहा है।
मांगरोल तालुका में सरकार द्वारा संचालित जलसंचय योजना के तहत महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, जिसका सीधा लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों और मजदूरों को मिल रहा है। मांगरोल तालुका पंचायत की मनरेगा शाखा के असिस्टेंट प्रोग्राम ऑफिसर श्री प्रकाशभाई गामीत बताते हैं कि मांगरोल तालुका में जलसंचय योजना गांव के समग्र विकास और कल्याण की दिशा में एक नया युग लेकर आई है। गांववालों को रोजगार और पानी दोनों मिल रहे हैं, जिससे उनका जीवन आसान हो रहा है। तालुका के 72 गांवों में कुल 405 कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 56 कार्य पूरे हो चुके हैं और बाकी कार्य प्रगति पर हैं। फिलहाल बोरिया गांव में बोर रिचार्ज और रिचार्ज पिट का कार्य चल रहा है।
जलसंचय योजना के तहत गांव में चल रहे कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए मनरेगा शाखा के टेक्निकल असिस्टेंट श्री चतुरभाई चौधरी बताते हैं कि बोरिया गांव में आंगनवाड़ी के पास बोर रिचार्ज और रिचार्ज पिट का प्रोजेक्ट प्रगति पर है, जिससे भूजल स्तर ऊंचा होगा। पहले बारिश का पानी जमीन में नहीं जाता था और यूं ही बह जाता था। अब, इस योजना से 300 फीट की गहराई पर भी पानी नहीं मिलने वाले गांव में 70 फीट पर ही पानी मिल जाएगा।
इस योजना से गांव के किसानों की समस्याओं का समाधान हो रहा है। तब बोरिया गांव के किसान अनुरागभाई गणपतभाई चौधरी बताते हैं, “गांव में पानी की कमी के कारण हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। गर्मियों और सर्दियों में पानी के लिए जूझना पड़ता था और खेती करना असंभव हो जाता था। जलसंचय योजना से अब किसानों को पर्याप्त पानी मिल रहा है, जिससे फसल की पैदावार भी सुधर रही है।”
गांव के मजदूरों के लिए भी यह योजना वरदान साबित हो रही है। बोरिया गांव के मजदूर अर्जुनभाई शंकरभाई चौधरी ने कहा, “यह योजना हमें घर के पास मजदूरी दे रही है। हम गांव में ही मजदूरी कर सकते हैं और रोज 300 रुपये कमा रहे हैं, जो हमारे परिवार के लिए रोजगार का सहारा है।”
गांव के अन्य निवासी नरेशभाई बिमासिया भी इस योजना का लाभ उठाते हुए कहते हैं, “पहले मजदूरी के लिए दूसरे गांव जाना पड़ता था। अब, गांव में ही रोजगार मिल रहा है, और हमारे गांव का पानी हमारे गांव में ही रह रहा है, इस कहावत को सार्थक कर रहा है।”
इस योजना के कारण बोरिया गांव में न केवल पानी की समस्या का समाधान हो रहा है, बल्कि इस योजना के जरिए गांव की आर्थिक प्रगति का मार्ग भी खुल रहा है। जहां पहले बारिश का पानी बेकार बह जाता था, अब वह बोर रिचार्ज पद्धति से जमीन में जा रहा है, जिससे भविष्य में पानी की अधिक उपलब्धता रहेगी।
जलसंचय अभियान के परिणामस्वरूप बोरिया गांव और उसके जैसे कई गांवों में परिवर्तन देखा जा रहा है। यह अभियान केवल पानी के संरक्षण में मदद नहीं कर रहा है, बल्कि यह गांव के लोगों के लिए रोजगार, खेती में सुधार और समृद्धि भी ला रहा है। बोरिया गांव का उदाहरण अन्य गांवों को भी प्रेरणा देता है कि कैसे समेकित प्रयास और जलसंचय योजना एक गांव के भविष्य को बदल सकती है।
जलसंचय अभियान का उद्देश्य
जलसंचय अभियान का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण करना और वर्षा जल का सदुपयोग करना है। इस योजना के तहत बोर और कुओं में रिचार्ज पद्धतियों का विकास किया जाता है, जिसके द्वारा वर्षा जल जमीन में जाकर पानी के स्तर को बढ़ाता है। भूजल में वृद्धि से गर्मियों और सर्दियों में पानी की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे खेती के अलावा गेहूं, चने, सब्जियां जैसी फसलें भी उगाई जा सकती हैं।
जलसंचय अभियान के फायदे
बोर रिचार्ज और रिचार्ज पिट के कारण भूजल संग्रहण क्षमता बढ़ती है, जिससे 70 फीट पर ही पानी मिल सकता है। खेती के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होने से फसल उत्पादन बढ़ेगा, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इस योजना के तहत गांव में ही लोगों को मजदूरी मिल रही है, जिससे अन्यत्र मजदूरी के लिए जाना नहीं पड़ता और स्थानीय स्तर पर रोजगार सुलभ हो रहा है। यह योजना लंबे समय में गांवों के जल संसाधनों को समृद्ध बनाएगी, जिससे भविष्य में पानी की समस्याओं का समाधान होगा।