पुलिस प्रशासन ने सड़कों पर भिखारी बने 347 बच्चों को देश का सभ्य नागरिक बनाने के लिए उनकी पहचान करने का अभियान शुरू किया है। इसमें जो लोग पढ़ना चाहते हैं उनकी शिक्षा व्यवस्था पर भी काम किया जा रहा है। ऐसे बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए सूरत नगर पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।
पिछले कुछ दिनों से सूरत पुलिस सामाजिक दायित्व निभाने के लिए कई तरह के प्रयोग करती नजर आ रही है। सड़कों पर भीख मांगकर कथित रूप से अपराधों का प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों के भविष्य की चिंता उनमें से एक है। पुलिस टीम ने सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों का सर्वे कर 347 बच्चों की पहचान की है। उनमें से 21 ऐसे बच्चे थे जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। बच्चे जहां भी जगह मिलती है सड़कों पर भीख मांगकर रात गुजारते हैं।
अभियान से जुड़ी एक पुलिस टीम सभी के लिए शिक्षा और 21 अनाथ बच्चों के लिए आवास की व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है। उस वक्त सूरत नगर प्रशासन भी मन बना रहा है कि शहर के अलग-अलग जोन में स्थित शेल्टर होम और शहर की प्राथमिक शिक्षा समिति द्वारा संचालित स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के लिए ठहराया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो सूरत की यह पहल देश भर के अन्य शहरों के लिए मिसाल साबित हो सकती है।
अपराध की दुनिया में शामिल होने का डर
किसी बच्चे को सड़कों और चौराहों पर भीख मांगते देखकर फिल्म ट्रैफिक सिग्नल का सीन याद आ जाता है। पुलिस का मानना है कि इस तरह की गतिविधियों में शामिल बच्चों के अपराध की दुनिया में शामिल होने की संभावना अधिक होती है। कम उम्र से ही बच्चों को कलम देकर या हुनर सिखाकर उन्हें अपराध के चक्र से बचाया जा सकता है।
नगर निगम प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव रखा गया है
सूरत नगर पालिका के नगरसेवक व्रजेश उनककट के मुताबिक नगर निगम प्रशासन भीख मांगने वाले बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम कर रहा है। हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर है। पुलिस के साथ समन्वय करके हम बच्चों को अपने आश्रय गृहों में रख सकते हैं और उन्हें नगर निगम के स्कूलों में पढ़ा सकते हैं। प्रस्ताव नगर निगम प्रशासन को दिया जा चुका है और अधिकारियों ने भी सैद्धांतिक सहमति दे दी है।