सूरत: सीमी के सम्मेलन मामले में कोर्ट ने 127 लोगों को किया बरी, 20 साल बाद सुनाया गया फैसला
20 साल पूर्व चर्चित बने सगरामपुरा के राजेश्री हॉल में आयोजित सम्मेलन में मौजूद 127 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने अनलो फुल एक्टिविटी के तहत मामला दर्ज किया था। अदालत ने आज मामले में अपना फैसला सुनाया। सभी 127 को बरी कर दिया गया। कोई सबूत नहीं होने का सामने आया था।
साथ ही इस मामले में लगाए गए धाराएं लागू नहीं पड़ती होने का भी उल्लेख किया था। यह भी ध्यान दिया गया था कि मामले में लगाए गए धाराएं लागू नहीं थीं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अठवा पुलिस स्टेशन के तत्कालीन पीआई एच. जेï. पंचोली को 27 दिसंबर, 2001 से 30 दिसंबर, 2001 तक राज्य के एडिशनल डीजीपी का फैक्स प्राप्त हुआ था। जिसमें अठवा पुलिस ने सूचना के आधार पर नवसारी बाजार राजेश्री हॉल में आयोजित सिमी सम्मेलन में रंग में भंग डाला।
प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन के रूप में सिमी पर प्रतिबंध के बावजूद सूरत में अधिवेशन आयोजित किया गया था। राज्य डीजीपी की खुफिया जानकारी के आधार पर अठवालाइंस पुलिस द्वारा छापेमारी की गई।
अधिवेशन का आयोजन बेगमपुरा मृगवन टेकरा के निवासी आसिफ इकबाल उर्फ आसिफ अनवर शेख और कोसम्बा निवासी हनीफ मुल्तानी ने किया था। पुलिस ने इन दो 6 आरोपियों सहित कुल 127 आरोपियों को गिरफ्तार किया। सम्मेलन स्थल पर आरोपियों से आपत्तिजनक साहित्य भी जब्त किया गया। प्रतिबंध के बावजूद सूरत में सिमी सम्मेलन आयोजित होने की सूचना के साथ पुलिस द्वारा छापेमारी के बाद देश भर में सनसनी फैल गई थी।
20 साल बाद फैसला आया
पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर हिरासत में भेज दिया। सरकार ने मुकदमा लडऩे के लिए अहमदाबाद के दो अधिवक्ताओं को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया। मामले में सरकार की ओर से अधिवक्ता अखिल देसाई और जगरूप सिंह राजपूत ने दलीले की।
इसके अलावा सरकार पक्ष के सूरत के जिला मुख्य सरकारी अधिवक्ता नयन सुखाडवाला द्वारा भी दलीले दी गई। पिछले 20 वर्षों से चल रहे इस मामले की सुनवाई यहां के मुख्य न्यायालय में लगभग पूरी हो चुकी है। यह मामला कोर्ट में चला। जिसमें अदालत ने सभी को बरी कर दिया।