सूरत : वेसू में निकली दीक्षार्थी देवेश की वर्षीदान यात्रा
दीक्षार्थी को देखने हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े
25 वर्षीय संगीतकार देवेश रातडिया की दीक्षा इस समय सूरत जैन समुदाय में चर्चा का विषय बनी हुई है। आध्यात्मिक सम्राट प.पू. योगतिलकसूरीश्वरजी महाराज के आध्यात्मिक प्रवचन से वैरागी बने 35-35 दीक्षार्थी अहमदाबाद में 18 से 22 अप्रैल तक सामूहिक दीक्षा लेंगे। लेकिन उससे पहले जिस तरह से सूरत में देवेश दीक्षा समारोह मनाया जा रहा है, उसे देखकर अहमदाबाद में कैसा माहौल होगा, यह सोच कर हर कोई रोमांचित है। देवेश योग सरगम के तहत आज रविवार को सूरत में दीक्षार्थी देवेश की भव्य वर्षीदान यात्रा निकली।
शनिवार की शाम देवेश कुमार के हृदयग्राही संयम धुन के बाद रविवार की सुबह वैभवशाली वर्षीदान यात्रा का भव्य जुलूस निकला। जिनशासन के जयकारों और पुष्पवर्षा के साथ रथ उनके निवास स्थान सम्प्रति पैलेस से रवाना हुआ। अनेक आकर्षणों के साथ निकली यात्रा में सबसे आगे नगाड़ा की दुदुम्भी ध्वनि आकाश में दीक्षा की ध्वनि गुंजायमान कर रही थी और पीछे समवसरण की सजावट दीक्षा की सुगंध फैला रही थी। ऊँटों, बैलगाड़ियों और घोड़ागाड़ियों का जुलूस शान से आगे बढ़ रहा था। घोड़ों पर सवार बच्चे आकर्षण का केंद्र बने रहे। बैंड वाजे और एक बड़े संगीत समूह के साथ-साथ नासिक ढोल और घंटियों से जुलूस का मार्ग गूंज उठा।
रास्ते में बच्चों की मनोरंजक प्रस्तुतियां भी बच्चों का मनोरंजन कर रही थीं। दीक्षार्थी देवेश कुमार राजसी ठाठबाट के साथ गजराज पर सवार होकर आ रहे हैं। हाथी के दोनों ओर भालों से सुसज्जित सैनिक चल रहे हैं। हरे वस्त्र पहने देवेश कुमार हाथी की काठी से उच्च त्याग की भावना के साथ वर्षीदान कर रहे थे। रथ में दो गुरुरथ थे। यात्रा के अंत में गुरु भगवंत और प्रभुवीर का रथ था जिसे एक हाथी खींच रहा था।
वरघोडो संप्रति पैलेस, कल्याण मंदिर, वीआईपी चार रास्ता, रिवोली, श्री रामविहार, श्री महाविदेह धाम, जश बिल्डिंग, जॉली रेजीडेंसी होते हुए दोपहर में विजया लक्ष्मी हॉल पहुंचा। वरघोड़े में नौ अन्य मुमुक्षुओं सहित हजारों श्रद्धालु शामिल हुए और हजारों लोगों ने वरघोड़े के दर्शन किये।वरघोड़े के बाद 2000 से अधिक श्रद्धालुओं को बैठाकर धार्मिक भक्ति की गई। रातडिया परिवार ने सोने की पन्नी के साथ बादाम के टुकड़ों में भोजन परोसकर बड़ी धार्मिक भक्ति दिखाई।
शाम को भव्य वर्षीदान यात्रा के बाद वांदोली और रात 8 बजे संयम शब्द स्पर्श के नाम से दीक्षार्थी का अद्भुत विदाई समारोह आयोजित किया गया। दीक्षार्थी ने स्वयं अपनी आवाज से ईश्वर तक की कहानी को रोचक वन-टू-वन शैली में प्रस्तुत किया।