
सूरत : महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक दिन भव्य रुप से मनाया
पूरे सूरत शहर में जगह-जगह शुद्ध घी से बने एक लाख लड्डू बांटे गए
लगभग 2600 वर्ष पूर्व चैत्र सूद तेरस के शुभ दिन जैन धर्म की चौबीसवीं के अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। जो इस वर्ष 4 अप्रैल मंगलवार को महावीर स्वामी जन्म कल्याणक दिवस के रूप में पूरे सूरत शहर में बिना जात पात के भेदभाव के अहिंसा के संदेश के साथ शुद्ध घी से बने एक लाख लड्डू का वितरण कर श्री जैन श्वेतांबर मूर्ति पुजक युवक महासंघ, सूरत ने मनाया।
कार्यक्रम का उद्घाटन सूरत शहर की मेयर श्रीमती हेमालीबेन बोघावाला, विधायक कांतिभाई बलर, प्रवीणभाई , भारतीय जनता पार्टी गुजरात प्रदेश उपाध्यक्ष जनकभाई बगदाना, डिप्टी मेयर दिनेशभाई जोधानी और सूरत शहर के डीसीपी सागरभाई बाघमार, हेतलबेन पटेल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री जैन श्वेतांबर मूर्ति पुजक युवक महासंघ, नीरव शाह, सूरत शहर अध्यक्ष तुषारभाई मेहता, नगरसेवक व अन्य गणमान्य व्यक्ति व जैन नेताओं ने दीप का उद्घाटन किया।
लड्डू वितरण के इस कार्यक्रम में सैकड़ों जैन परिवारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, मंडप का निर्माण किया गया, प्रत्येक मंडप पर लगभग 500 जैन युवक, युवतियां और बच्चे उपस्थित रहे, भगवान महावीर स्वामी और जैन धर्म के गीतों और सत्संगों से वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया और ध्वजारोहण किया और हर पैदल यात्री, बस चालक, रिक्शा चालक, दुपहिया और चौपहिया वाहन चालकों का जय महावीर स्वामी के उद्बोधन के साथ अभिनंदन किया जा रहा था।
श्री जैन श्वे. मू. पू. युवक महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरवभाई शाह ने कहा कि आज भगवान महावीर स्वामी की जयंती पर दुनिया से हिंसा को मिटाने, अहिंसा की प्रतिष्ठा स्थापित करने और मित्रता और करुणा का वातावरण बनाने के लिए, लड्डू वितरण कर प्रभु का सन्देश सारी दुनिया को दिया।
इस अवसर पर श्री जैन श्वे. मू. पू . युवक महासंघ, सूरत के अध्यक्ष तुषारभाई मेहता ने कहा कि सत्य, करुणा, अहिंसा, जीवनदायिनी, क्षमा और अहिंसा जैसे तत्वों पर आधारित और विश्व को शांति का संदेश देने वाला जैन धर्म पूरी दुनिया में पहचान बन चुका है।
इस दिन को जैन धर्मावलंबियों द्वारा महावीर स्वामी जन्म कल्याणक दिन के रूप में मनाया गया और साध्वीजी भगवंत तथा जैन धर्म के अनुयायी तथा जैन भाई बहनों ने भी इस उत्सव में हर्षोल्लास के साथ भाग लिया तथा विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने भी इस दिन अवकाश रखकर मनाया।