सूरत को सस्टेनेबल टेक्सटाइल हब बनाया जाएगा
सुएज ट्रीटेड वॉटर का उपयोग करनेवाला सूरत भारत का पहला शहर
चैंबर ने सूरत में सेंटर फोर एन्वायरमेंट एज्युकेशन, साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन, द सदर्न गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एन्ड इंडस्ट्री और यूनाइटेड नेशन्स एन्वायरमेंट प्रोग्राम की सूरत को सस्टेनेबल टेक्सटाइल हब बनाने के विषय पर संयुक्त मीटिंग हुई। यूएनईपी द्वारा सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर के सस्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट को अगले चार वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है। इस परियोजना के तहत क्या लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं और इसके लिए क्या संचालन करना होगा, इस पर इस बैठक में विस्तृत चर्चा हुई।
उद्यमियों को 8 आर की अवधारणा समझाई
यूएनईपी की प्रोग्राम अधिकारी क्लाउडिया गियाकोवेली ने कहा, ‘यूएनईपी ने सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर सस्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट को दिसंबर 2023 से सितंबर 2027 तक अगले चार वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। जिसमें कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार और यूएनईपी मिलकर काम करते हैं और सीईई अहमदाबाद को कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी जाती है। जिसमें एसजीसीसीआई और एसजीटीपीए मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने सूरत को एक टिकाऊ कपड़ा केंद्र बनाने के लिए उद्यमियों को 8 आर की अवधारणा समझाई। 8 आर का मतलब है रिफ्यूज, रिड्यूस, रीयूज, रिपेयर, रीफर्बिश, रीमैन्युफैक्चर, रीपर्पज और रीसायकल। जिसका उपयोग करके सूरत को सस्टेनेबल टेक्सटाइल अब बनाया जा सकता है।
यूरोप में उत्पाद पर्यावरण पदचिह्न का अनुपालन अनिवार्य
यूएनईपी की प्रोग्राम अधिकारी क्लाउडिया गियाकोवेली ने व्यवसायियों से कहा कि आने वाले दिनों में यूरोप में उत्पाद पर्यावरण पदचिह्न का अनुपालन अनिवार्य किया जा रहा है, इसलिए यदि कोई उत्पाद यूरोप में निर्यात किया जाता है, तो उत्पाद पर्यावरण पदचिह्न की जानकारी अनिवार्य होगी। भविष्य में यूरोप को निर्यात किए जाने वाले उत्पाद की प्रतिस्पर्धात्मकता क्या है, इसका पर्यावरणीय पदचिह्न क्या है? यह उसी पर आधारित होगा।
सूरत टेक्सटाइल क्लस्टर सस्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट के तहत यूएनईपी सूरत के कपड़ा उद्योग को इसके अनुपालन के बारे में सूचित करेगा और आवश्यक समझ देगा कि उनके उत्पाद यूरोपीय पर्यावरण पदचिह्न के मानदंडों के अनुसार बनाए जाएंगे। इस सन्दर्भ में क्रियान्वित किये जाने वाले कार्यक्रमों में यदि वित्तीय आवश्यकता होगी तो अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम से भी धनराशि प्राप्त की जायेगी। उन्होंने कहा कि कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार की मदद करेगा।
सुएज ट्रीटेड वॉटर का उपयोग करनेवाला सूरत भारत का पहला शहर
साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र वखारिया ने कहा, ‘सूरत भारत का पहला शहर है जो टेक्सटाइल क्षेत्र में कपड़ा बनाने के लिए सुएज ट्रीटेड वॉटर का उपयोग करता है। शहर के कुछ क्षेत्रों में कपड़ा क्षेत्र से निकलने वाले ठोस कचरे के निपटान की प्रक्रिया जर्मन तकनीक का उपयोग करके की गई है।
क्लॉथ कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे
अगले चार वर्षों में शहर के कपड़ा उद्योग में उपयोग होने वाले कुल पानी का 50 फीसदी पानी को ट्रीट कर पुन: उपयोग में लाया जाएगा। सूरत एमएमएफ केंद्र होने से सर्कुलरिटी को बढ़ावा देने के लिए कपड़े के पुन: उपयोग को बढ़ाने के लिए सूरत कपड़ा क्लस्टर में विभिन्न स्थानों पर बड़े क्लॉथ कलेक्शन सेंटर स्थापित किए जाएंगे। वहीं हरित ऊर्जा क्षेत्र में अगले चार वर्षों के दौरान कपड़ा उद्योग में कुल बिजली खपत का 50 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।