भारत

प्रतिभाशाली महिलाएं शक्ति का प्रतीक

भारत मे राजनीति की दुनिया मर्दों की दुनिया मानी जाती है।वहां इक्कीसवीं सदी में पहुंच चुके भारत मे इस पर से मर्दों का एकाधिकार टूट रहा है। महिलाओं को पैर की जूती समझने वाला समाज आज उनकी उपयोगिता की कद्र कर रहा है। यूपी के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने महिलाओं को 40 फीसद टिकट देने की घोषणा के बाद हर एक पार्टी का समीकरण बिगड़ गया है ।महिलाओं की बोलबाला बढ़ गई है। राजनीति में आगे बढ़कर पार्टी की कमान संभाल रही है और अपने अभिनव प्रयोगों से अपनी प्रतिभा के झंडे फहरा रही है।

राजनीति में जहाँ महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण को लेकर संसद में बहस होती है। जब सियासी दावपेच अटका हो तब महिलाओं को आगे किया जाता है ।राजनीति में महिला भागीदारी जितनी ज्यादा होगी लोगो की जनसुनवाई भी ज्यादा होगी।भ्रष्टाचार भी कम होगा। जो भी राजनीति में सक्रिय है उन प्रतिभाशाली महिलाओ ने अपनी शक्ति और ईमानदारी से कार्य किया है। जो उच्च पद को शोभायमान कर रही है।महिला भागीदारी से राजनीति में पारदर्शिता आएगी।यूपी के 2022 के चुनाव में महिलाओं की विशेष भागीदारी और राजनीति में सक्रियता से कानून का पालन होगा।

आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा के झंडे गाड़ रही है।महिलाओं को अबला माना जाता रहा है वही चाहे बैंकिग क्षेत्र हो या होटल,अस्पताल चलाने का मामला,या दुपहिया वाहन और ट्रैक्टर के उत्पादन से लेकर ऊर्जा और पर्यावरण इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी जैसी विशेषज्ञता का क्षेत्र ,महिलाएं आगे बढ़कर कंपनी या संस्थान की कमान संभाल रही है। हमारे देश मे महिलाएं सफलता की जो कहानियां लिख रही है वह दुनिया के आठवें आश्चर्य से कम नही है।जो इलाके उनके लिए वर्जित माने जाते थे। उनमें वे मर्दों से लोहा ले रही है।आज के परिपेक्ष्य में राजनीति में महिलाओं को कम अवसर दिया जा रहा है। जिससे पुरुष समाज का वर्चस्व बढ़ गया है।समाज को बदलना है तो राजनीति में महिलाओं को टिकट देकर आगे बढ़ाना होगा।

आज हर क्षेत्र में महिलाएं मर्दों से कम नही है। महिलाओं में ऊंची उड़ान की महत्वकांशा होती है जिससे जिम्मेदारियों पर कठोर वर्तन करती है।संतुलन साधने में भी महिलाओं का कोई सानी नही है। हर संकट साधने की संजीदगी के कारण आगे बढ़ने की आकांक्षा सफलता हासिल करने में माहिर होती है।महिलाओं को नजरअंदाज करने की बजाए राजनीति में सक्रियता बढ़ाए।


( कांतिलाल मांडोत )

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