धर्म- समाज

संसार की यात्रा कठिन, लेकिन मोक्ष की यात्रा सरल है : आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी 

संबंधों में स्वार्थ का धागा टूटे ही संबंध टूट जाते हैं

सूरत। शहर के पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन पाल में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने मंगलवार 5 नवंबर को प्रवचन में कहा कि संकल्प बल अगर मजबूत हो तो व्यक्ति के मन में अन्य कोई विचार नहीं आता। माउंट एवरेस्ट की यात्रा फिर भी कठिन हो सकती है, लेकिन आध्यात्मिक, मोक्ष की यात्रा बहुत सरल है। माउंट एवरेस्ट चढ़ने के लिए आपको साधनों की आवश्यकता होती है, लेकिन मोक्ष की यात्रा में साथ कुछ भी नहीं होता है। संसार की यात्रा भी कठिन है।लेकिन मोक्ष की यात्रा सरल है। मोक्ष की यात्रा को सरल अपनी रुचि, अपना रस बनता है। संयम जीवन जैसा कोई जीवन नहीं है।

चिंता है तो जीवन कठिन है। साधु जीवन आज्ञा के अनुसार, शास्त्रों के अनुसार चलता है। जीवन में कभी-कभी ऐसी घटना घटती है जिसके कारण विचार में मोड आ जाता है। अपने जीवन में एक सच्चा मोड होना चाहिए। संसार में जितने भी सुख के साधन हैं वह सुख तभी दे सकते हैं जब आपका शरीर स्वस्थ हो।

आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने प्रेम का अर्थ बताते हुए कहा कि अपना दुख उतना दुख नहीं लगता जितना अपनों का दुख लगता है। कभी किसी को शत्रु नहीं मानना चाहिए। अपनों के दु:ख को देखकर रोया जा सकता है लेकिन दूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि संबंधों में स्वार्थ का धागा टूटे ही संबंध टूट जाते हैं। फिर चाहे वह संबंध पिता – पुत्र का हो, भाई – बहन का हो, या पति-पत्नी का हो।

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