धर्म- समाज

संयम जीवन में चिंता का कोई आधार और कारण नहीं है : आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा.

बड़ी दीक्षा महोत्सव हुआ

सूरत। शहर के पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन पाल में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में शुक्रवार 8 नवंबर को नूतन दीक्षित मुनि श्री मुखरप्रभसागरजी म.सा. और नूतन दीक्षित मुनि श्री मधुरप्रभसागरजी म.सा. की बड़ी दीक्षा महोत्सव हुआ।

आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी ने कहा कि किसी भी दीक्षार्थी के परिवार को अनजाना रास्ते पर चलने की अनुमति देना बड़ा कठीन होता है। संसार के रास्ते पर सब चलते ही है। लेकिन यह रास्ता बिल्कुल नया है। चारित्र लेना कोई सामान्य बात नहीं है। संयम के विचार आना आसान है, संयम के विचार टिकना मुश्किल है। और संयम के विचार टिक भी जाए तो संयम ग्रहण करने के विचारों को क्रियाऩ्वित करना और भी मुश्किल है। संयम जीवन में चिंता का कोई आधार और कारण नहीं है। चारित्र का पालन काया से कम, मन से ज्यादा होता है।

संसार में मन का उपयोग कम, काया का ज्यादा है। संयम में काया का उपयोग कम और मन का ज्यादा है। क्योंकि मन की स्थिरता ही नहीं मन की पवित्रता भी चाहिए। आज दीक्षार्थी साक्षी सिंघवी को मुहुर्त प्रदान किया गया। उनके परिवार के कमलेश सिंघवी ने अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त की। साथ ही दीक्षार्थी परिवार का संघ द्वारा बहुमान किया गया।

दीक्षार्थी कुमारी साक्षी ने अपनी भावना को व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी यात्रा का क्या लाभ जिसकी कोई मंजिल ही नहीं हैं। चलते रहने का नाम है संसार। संयम का जीवन अनमोल है। हमें इसे समझना है तो महापुरूषों के जीवन चरित्र को समझना होगा।

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