शरीर का उपयोग भोग भोगने के लिए नहीं, बल्कि साधना करने के लिए करें: आचार्य जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज
सूरत। श्री शांतिनाथ जैन संघ-वेसू के प्रांगण में कुलचंद्रसूरीश्वरजी महाराज, जिनसुंदरसूरीश्वरजी महाराज, रश्मिराजसूरीश्वरजी महाराज के सान्निध्य में एक सुंदर धर्म सभा का आयोजन किया गया। आचार्यश्री ने धर्म सभा में समझाया कि शरीर, समय और धन का ध्यान रखें।
जैसे हम साइकिल को 1 घंटे के लिए किराये पर लेते हैं। इसे 50 मिनट तक इस्तेमाल किया गया हो, अगर आखिरी 10 मिनट में भी कोई काम हो तो हम उस काम को बाद में करके 10 मिनट तक साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। क्या 60-70 साल से मिली इंसानियत को उपयोग नहीं करना चाहिए? शरीर का उपयोग केवल भोग भोगने के लिए करते हैं, जबकि मनुष्य को दिया गया शरीर साधना के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
कोई नहीं जानता कि रोग कब शरीर को साधना करने में असमर्थ कर देगा। जब बुढ़ापा इस शरीर को कमजोर कर देता है और जब मृत्यु इस शरीर को नष्ट कर देती है। पूज्यश्री के ओजस्वी प्रवचन को सुनने के बाद श्री संघ ने वर्ष 2025 में समस्त वेसु के लिए सामूहिक वर्षीतप करने का निर्णय लिया और साथ ही कुलचंद्रसूरीश्वरजी महाराज से 2025 के लिए और जिनसुंदरसूरीश्वरजी से 2026 के चातुर्मास के लिए पुरजोर विनती की। श्री श्रेयांशनाथ प्रभु ने सहर्ष निश्रा प्रदान कर प्रथम वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया।