महिला आरक्षण विधेयक : पिछले 26 साल से अटका बिल आखिरकार संसद में पेश, जानें विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
देश में पुरानी संसद के आखिरी दिन मोदी सरकार के नेतृत्व में महिला आरक्षण बिल संसद भवन में पेश किया गया। जिसका विपक्ष समेत ज्यादातर नेताओं ने स्वागत किया है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन समेत कई नेताओं ने आज के दिन को महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन बताया।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, “मुख्य रूप से पुरुष राजनीतिक लेन्डस्केप के मुश्किल क्षेत्र को व्यक्तिगत रूप से पार करने के बाद मुझे खुशी है कि महिला आरक्षण विधेयक आखिरकार एक वास्तविकता बन जाएगा।”
महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनिया गांधी ने कहा, ”यह हमारा है.” अपना है। कुछ दिन पहले संपन्न हुई दो दिवसीय कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था ने अपने प्रस्ताव में महिला आरक्षण विधेयक को संसद के विशेष सत्र में पारित करने की मांग की।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हम महिला आरक्षण बिल का बिना शर्त समर्थन करेंगे।
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ”आज हम एक ऐतिहासिक घटना के गवाह बनने जा रहे हैं। ब्रिटिश शासन से लेकर हमारी आजादी तक हमने इस संसद के गौरवशाली क्षण का अनुभव किया है। बाबा साहब अम्बेडकर ने हमें 395 कलम दिए है। “2047 तक हमें आर्थिक मामलों के साथ-साथ शिक्षा और अन्य क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा।”
महिला आरक्षण बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए मेनका गांधी ने कहा कि आज महिलाओं के लिए ऐतिहासिक दिन है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में महिलाओं को समान अधिकार मिलने जा रहा है।
विधेयक में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षण का प्रावधान है। इस 33 फीसदी में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी हैं। महिला आरक्षण विधेयक एक संविधान संशोधन विधेयक है। इसलिए इसे दो-तिहाई बहुमत से पारित होना जरूरी है। इसी वजह से यह बिल करीब 26 साल से अटका हुआ है।