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कोवैक्सिन के बूस्टर डोज के क्लीनिकल ट्रायल को मिली केंद्र की मंजूरी, जानें क्या होगा फायदा

नई दिल्ली: देश में कोरोना कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है, इस बीच कोरोना से पूरी तरह से बचने के लिए वैक्सीन की तीसरा डोज लेना भी आवश्यक हो सकता है। इसे बूस्टर डोज नाम दिया गया है और शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा कई गुना बढ़ सकती है। जिसके कारण लंबे समय तक शरीर से एंटीबॉडी कम नहीं होगी।

केंद्र के विशेषज्ञों की टीम ने बूस्टर डोज के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी है। हैदराबाद में भारत बायोटेक के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक अध्ययन भी शुरू किया है। वर्तमान में 28 दिनों के अंतराल पर कोवेक्सिन के दो डोज लेने के बाद ही वैक्सीन का कोर्स पूरा होता है। लेकिन कुछ अध्ययनों का दावा है कि एंटीबॉडी केवल 3 से 6 महीनों के लिए शरीर में रहती हैं। इन परिस्थितियों में एंटीबॉडी के लिए एक लंबी बूस्टर डोज की आवश्यकता होती है। समिति के एक सदस्य ने बताया कि टीके की 2 खुराक लेने के 6 महीने बाद बूस्टर खुराक दी जा सकती है।

भारत बायोटेक ने परीक्षण में शामिल लोगों को 6 महीने के लिए फॉलो-अप लेने के लिए भी कहा है। अगर यह अध्ययन सकारात्मक रहा तो आने वाले दिनों में बूस्टर खुराक उपलब्ध हो सकती है। समिति के सदस्यों ने कहा कि बूस्टर खुराक अलग नहीं हैं, लेकिन एंटीबॉडी बूस्ट तीसरी खुराक के साथ हो सकता है। अध्ययन के अनुसार बूस्टर डोज के बाद भी विषाणु शरीर पर हावी नहीं हो सकते। एंटीबॉडी संक्रमण के बाद कई हफ्तों तक रहता है जबकि बूस्टर खुराक वायरस के खिलाफ कई वर्षों तक रक्षा करेगा।

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