सूरत : जीवन आदर्श उत्कर्ष परिषद एवं श्री माहेश्वरी भवन समिति ट्रस्ट द्वारा स्वास्थ्य शिविर का हुआ आयोजन
प्रख्यात चिकित्सक अनिरुद्ध आप्टे ने मिर्गी, ब्रेन डेड एवं पैरालीसीस स्ट्रोक पर प्रकाश डाला
सूरत में 9 जुलाई 2023 रविवार को माहेश्वरी भवन सिटीलाइट में सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक जीवन आदर्श उत्कर्ष परिषद एवं श्री माहेश्वरी भवन समिति ट्रस्ट द्वारा 35वीं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।जीवन आदर्श उत्कर्ष परिषद के संस्थापक श्रीकान्त मूँदड़ा ने बताया कि इस जन कल्याणकारी आयोजन में डॉक्टर अनिरुद्ध आप्टे द्वारा EPILEPSY (मिर्गी) व ब्रेन डेड के बारे में विस्तृत रूप से श्रोताओं को जागरूक किया।
मिर्गी कोई मानसिक रोग नहीं है, ना ही कोई पागलपन है, यह एक सामान्य रोग है। समाज में यह भ्रांति है कि मिर्गी वाला पेशेंट नाकाम होता है, ऐसा कुछ नहीं है।
भारत में लगभग 50 -75 लाख लोगों को मिर्गी की बीमारी है। भारत में केवल 3000 न्यूरोलॉजिस्ट है। प्रति न्यूरोलॉजिस्ट प्रति दिन औसतन 5-10 मिर्गी के रोगी को देख पाते हैं। 100 में से 1 व्यक्ति को मिर्गी की बीमारी होती है।
मरीज़ों को पता नहीं चल सकता है कि उन्हें दौरा पड़ रहा है और उन्हें याद भी नहीं होगा कि क्या हुआ था। मिर्गी संक्रामक नहीं है, मिर्गी मानसिक बीमारी का एक रूप भी नहीं है। अधिकांश लोग दौरे के दौरान लगभग कभी नहीं मरते या मस्तिष्क क्षति नहीं होता। मिर्गी से पीड़ित 70 प्रतिशत लोगों का कारण अज्ञात है। शेष 30 प्रतिशत के लिए सामान्य पहचान योग्य कारणों से होती हैं।
रोगी के साथ तब तक रहें जब तक कि उसे आस-पास की स्थिति के बारे में पूरी तरह से जानकारी न हो जाए, भावनात्मक समर्थन प्रदान करें। रोगी को यथासंभव अधिक से अधिक गतिविधियों में शामिल करें। रोगी की दौरे की गतिविधि, व्यवहार और सीखने की समस्याओं के बारे में माता-पिता से संवाद करें। शांत रहें और समय का ध्यान रखें। रोगी को संभावित खतरों (कुर्सियाँ, मेज, नुकीली वस्तुएँ, आदि) से बचाएँ।
मिर्गी एक क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें बार-बार दौरे पड़ने की प्रवृत्ति होती है। मिर्गी को “दौरे की बीमारी” के रूप में भी जाना जाता है, ऐसे बहुत सारे उदाहरण है कि मिर्गी वाले रोगी ने इतिहास रचा है। जैसे, जूलियस सीजर-जिसने रोमन साम्राज्य को विस्तार प्रदान किया। सुकरात-महान दार्शनिक, नेपोलियन बोनापार्ट, Jonty Rhyods-Crickter, Lyender Pace-Tenis Player आदि इन सबको मिर्गी थी।
मिर्गी के लक्षण एवं उपचार
जीभ का कटना, पुतले की तरह स्थिरता, अचानक आँख का फड़फड़ाना, हाथ मलना आदि मिर्गी के लक्षण हैं। जबकि मेडिसीन एवं सर्जरी से इसका उपचार किया जा सकता है। नियमित 3 साल दवा लेने से 70 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं। मात्र 30 प्रतिशत मरीज को ही लंबी दवा चलती है।
भारत में ब्रेन डेड के प्रति जागरूकता बेहद कम
ब्रेन डेड का समय पर निदान और घोषणा की जानी चाहिए। अंतिम चरण के अंग विफलता वाले योग्य रोगियों के लिए अंगों की तीव्र कमी के संकट से निपटने में मदद मिलेगी। यह अंग प्रत्यारोपण को कई रोगियों को जीवन का उपहार देने की अनुमति देगा और ब्रेन डेड रोगियों के रिश्तेदारों को अनुचित चिंता और निरर्थक आशा से राहत देगा। भारत में ब्रेन डेड के प्रति जागरूकता बेहद कम है।
1994 में भारतीय संसद द्वारा मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम पारित किया गया, जिसने ब्रेन डेड को वैध बना दिया। ब्रेन डेड के सभी परीक्षण न्यूनतम 6 घंटे के अंतराल के बाद दोहराए जाएंगे। ब्रेन डेड के बाद में अंग दान के प्रति समाज में जागरूकता की नितांत आवश्यकता पर डॉक्टर साहब ने ज़ोर दिया।
पैरालीसीस स्ट्रोक की जानकारी होते ही करवाए उपचार
डॉक्टर साहब ने पैरालीसीस (Paralysis) पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसको पहचानना जरूरी है। जिस प्रकार आग लगती है, उस समय अगर चिंगारी को ही पहचान लिया जाए तो आग पर काबू पाया जा सकता है। ठीक उसी प्रकार हमारे शरीर में paralysis stroke का पता लगते ही इलाज करवाये तो स्ट्रोक से बचा जा सकता है। यह जागरुकता बहुत जरूरी है।
हमारे ब्रेन का वजन 1.25 किलोग्राम होता है। ब्रेन हमारी बॉडी की हार्ड डिस्क है। यह हमारे शरीर का 20 प्रतिशत रक्त लेता है। हमारे ब्रेन में 3 मिनट से ज्यादा अगर ब्लड व ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो तो डैमेज हो सकता है और फिर पूरे शरीर में फैल जाता है। ब्रेन की ब्लड सप्लाई दो तरीके से रुक सकती है, पहला ब्लड की पाइप में कचरा आना तथा दूसरा पाइप फट जाना।
Brain Hemorrhage का कारण ब्लड प्रेशर एवं डायाबिटीस है। इन दोनों को कंट्रोल में रखना जरूरी है। छोटे स्ट्रोक को हमारी बॉडी खुद क्लोस कर देती है। बड़े स्ट्रोक नहीं कर पाती, इसलिए हमे छोटे स्ट्रोक पर ही संभल जाना चाहिए और उपचार करवा लेना चाहिए।