सूरत

सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल बनी शिक्षा का मंदिर, बंदी शिक्षक ने बंदी छात्रों को पढ़ाकर 100 प्रतिशत परिणाम प्राप्त किया

कैदी हर महीने लगभग 2,200 से 2,500 किताबें पढ़ते हैं

गुजरात आज शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने हमेशा यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि गुजरात का कोई भी नागरिक शिक्षा से वंचित न रहे। इसी प्रकार कैदी शिक्षा के अपने अधिकार से वंचित न रहें इसलिए जेलों में कैदियों को शिक्षा प्रदान करने का पुनीत कार्य किया जा रहा है। सीखने के इच्छुक मेहनती कैदियों के लिए सूरत के लाजपोर सेंट्रल जेल में महात्मा गांधी विद्यालय की स्थापना की गई है। जिसमें कुल 267 निरक्षर बंदियों को बंदी शिक्षकों द्वारा साक्षरता शिक्षा प्रदान कर साक्षर बनाया गया है, साथ ही जेल में तनावग्रस्त तथा जिन्हें मानसिक सहायता की आवश्यकता है ऐसे निरक्षर कुल 16 निरक्षर बंदियों की काउंसलिंग कर उन्हें शिक्षित किया गया है।

 18 लाख रुपये की लागत से “डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम” तैयार

महात्मा गांधी विद्यालय के सुशिक्षित कैदियों को गुणवत्तापूर्ण एवं स्मार्ट शिक्षा मिले, इसके लिए वर्ष 2024 में एलएंडटी कंपनी के सहयोग से 18 लाख रुपये की लागत से “डिजिटल स्मार्ट क्लासरूम” तैयार किया गया है। डिजिटल स्मार्ट क्लास का अनावरण गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने किया था। वर्ष 2024-25 में इस जेल में कक्षा 10 में 16, कक्षा 12 में 9 और डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ओपन विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट कोर्स में 32 सहित कुल 57 कैदियों ने अपनी पढ़ाई पूरी की। इस जेल स्कूल का वर्ष 2022-23 और 2023-24 में 10वीं और 12वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा।

 हर महीने कैदियों द्वारा लगभग 2200 से 2500 किताबें पढ़ी जाती हैं

इस विद्यालय में पुरुष एवं महिला वर्ग के लिए अलग-अलग पुस्तकालय की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिसका उद्देश्य बंदी भाई-बहनों के सर्वांगीण विकास एवं मानसिक गठन में सहायता करना है। कैदियों को पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए पुस्तकालय विभाग में एक सॉफ्टवेयर भी विकसित किया गया है। जिसमें कैदियों द्वारा पढ़ी जाने वाली पुस्तकों का रिकार्ड रखा जाता है। स्कूल की लाइब्रेरी में कुल 18 हजार से अधिक पुस्तकें और कुल 864 पत्रिकाएं उपलब्ध हैं। इस स्कूल में जेल में अशिक्षित और बुजुर्ग कैदियों के लिए ऑडियो लाइब्रेरी सिस्टम की सुविधा उपलब्ध है, जो पढ़ नहीं सकते। पिछले दो वर्षों में कुल 2,062 कैदियों ने ऑडियो लाइब्रेरी प्रणाली का लाभ उठाया है। गौरतलब है कि औसतन हर महीने कैदियों द्वारा लगभग 2200 से 2500 किताबें पढ़ी जाती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button