गुजरातसूरत

मांडवी के बलेठी गांव की आदिवासी महिला संगीताबेन चौधरी का गृहिणी से उद्यमी बनने तक का सफर

वनश्री रेस्टोरेंट में गुजराती-पंजाबी थाली के साथ स्थानीय नागली-बाजरे की रोटी का दिव्य भोजन

सूरत:  सशक्त महिला से ही सशक्त समाज का निर्माण संभव होता है। गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं ने अपनी हिम्मत, हस्तकला और कड़ी मेहनत से जीवन में एक नई दिशा का संचार किया है। इसका एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं, मांडवी तालुका के बलेठी गांव की संगीताबेन जिग्नेशभाई चौधरी, जो पहले केवल एक गृहिणी के रूप में घर का काम करती थीं, लेकिन उनके मन में आत्मनिर्भर बनने की तीव्र इच्छा थी। अपने प्रयासों को सही दिशा देते हुए, उन्हें विसडालिया में स्थापित देश के पहले ‘रूरल मॉल’ के बारे में जानकारी मिली और यहीं से उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ।

रूरल मॉल में ‘वनश्री’ रेस्टोरेंट चलाने वाली संगीताबेन चौधरी बताती हैं कि, “शुरुआत में मुझे रूरल मॉल में किचन का काम मिला था, जहाँ लोग चाय-नाश्ते के लिए आते थे। धीरे-धीरे, वन विभाग के सहयोग से हमें यहीं पर ‘वनश्री’ नाम से रेस्टोरेंट शुरू करने का अवसर मिला। हमने चाय-नाश्ते के साथ-साथ गुजराती थाली, पंजाबी थाली और नागली-बाजरा-चावल के रोटले जैसे स्थानीय व्यंजनों को भी मेनू में शामिल किया। प्यार से परोसे गए इस भोजन को लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली।”

संगीताबेन आगे बताती हैं कि, “हमें यहाँ शादी समारोहों, जन्मदिन की पार्टियों और सरकारी कार्यक्रमों के लिए भी ऑर्डर मिलते हैं। हमारे साथ सात से अधिक कारीगरों को रोजगार मिल रहा है। हर महीने हम ₹40 से ₹50 हज़ार की आय प्राप्त कर रहे हैं और आत्मनिर्भर बन गए हैं। आज विसडालिया रूरल मॉल सिर्फ व्यापार का स्थान नहीं है, बल्कि आसपास के 34 गाँवों के आदिवासी परिवारों के लिए रोज़गार और आय का एक शक्तिशाली माध्यम बन गया है।

संगीताबेन गर्व से कहती हैं कि, “पहले मैं सिर्फ एक गृहिणी थी, लेकिन आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूँ। मैं रेस्टोरेंट चलाकर अच्छी आमदनी कर रही हूँ और मेरे साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे रही हूँ। हम सरकार के आभारी हैं कि उसने हम जैसे दूर-दराज के लोगों के लिए इतना बेहतरीन माध्यम खड़ा किया।”

वन विभाग के मार्गदर्शन और रूरल मॉल के सशक्तिकरण के कारण संगीताबेन जैसी कई महिलाओं में उद्यमशीलता (Entrepreneurship) विकसित हो रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और आदिवासी समाज को आत्मनिर्भर बनाने के ऐसे प्रयास आज पूरे गुजरात के लिए गौरव का विषय हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button