प्रादेशिक

हास्य व्यंग : राजनीतिक पार्टियों के शोपीस नेताओं से आम आदमी परेशान

भारत की राजनीति में आम आदमी जितना महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी से परेशान रहता है , उतना ही परेशान वह शोपीस नेताओं से भी रहता है। नेताओं की एक ऐसी प्रजाति जो बॉलीवुड फिल्मों की तरह न सिर्फ परिधान धारण करती है अपितु उसी अंदाज में डायलॉग भी बोलती है। जमीन से कम से कम 100 फीट ऊपर हवा में तैरने वाली यह प्रजाति शाही अंदाज में पूरी तरह से आराम तलब होती है। कड़ाके की ठंडक और तेज धूप में यह नेता बाहर नहीं निकलते।

लखनऊ के नवाबों की कहानियां तो आपने सुनी होगी, यह उनके अवतारी जीव हैं। मंच पर उन्हें अगली पंक्ति की ही सीट चाहिए। आम आदमी और गरीबों के बीच इन्हें जाना पसंद नही। कपड़े की क्रीच मुड़नी नहीं चाहिए। जूतों पर धूल जमनी नहीं चाहिए। देखा जाए तो यह प्रजाति सिर्फ भारत में, और वह भी खासकर उत्तर और मध्य भारत में ज्यादा पाई जाती है। विदेशी सेंट की खुशबू बिखेरती यह प्रजाति बड़े नेताओं के आसपास चक्कर लगाती,आसानी से देखी जा सकती है।

वैसे यह प्रजाति राजनीतिक पार्टियों के लिए इसलिए सिरदर्द नहीं होते क्योंकि यह टिकट नहीं मांगती। राजनीतिक पार्टियां भी जानती हैं कि उन्हें टिकट देना आत्मघाती साबित होगा। शोपीस नेताओं के चलते सबसे ज्यादा परेशान आम जनता होती है। मंत्री से मिलना है तो इन शोपीस नेताओं से मिलना होगा। उनकी जय जयकार करनी होगी। चारण और भाट की तरह उनकी स्तुति करनी होगी। यह अलग बात है कि उनकी कई परिक्रमा के बाद आम जनता, अपने ही वोटों की ताकत से विधायक या मंत्री बने व्यक्ति से मिल पाती है।

इन शोपीस नेताओं के पास आलीशान गाड़ियां होती हैं। ट्रेनों में यात्रा करना इनके लिए अपमानजनक है। भूल से कहीं मंत्री जी या विधायक के साथ स्लम एरिया में जाना पड़ा तो इनका ध्यान जनता से कहीं अधिक अपने कपड़ों और मेकअप पर होता है। यह अलग बात है कि आम आदमी के सामने शेखी बघारने वाली यह प्रजाति, फाइव स्टार होटलों में रुके मंत्रियों या विधायकों की होटल वेटर की तरह सेवा करते नजर आते हैं।

–शिवपूजन पांडे

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button