उत्तर भारतीय संघ के प्रति समर्पित डॉ राधेश्याम तिवारी को मिला अद्वितीय सम्मान
मुंबई। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन का उपदेश दिया है। अपने कर्तव्यों और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने वाले लोगों को फल की इच्छा रखने की आवश्यकता ही नहीं है। देर ही सही परंतु पूरे सम्मान और आदर के साथ उन्हें अपने अच्छे कार्यों का फल मिलना तय है।
उत्तर भारतीय संघ भवन, बांद्रा पूर्व में एक मई को प्रख्यात समाजसेवी तथा समर्पित भाव से संघ के चतुर्दिक विकास में सक्रिय योगदान देने वाले डॉ राधेश्याम तिवारी के सम्मान में एक विशेष कक्ष का उद्घाटन किया गया। देखा जाए तो उत्तर भारतीय संघ द्वारा डॉ राधेश्याम तिवारी को दिया गया, यह अद्वितीय सम्मान है।
इसका सारा श्रेय संघ के विकास का गौरवपूर्ण इतिहास लिखने वाले स्वर्गीय आर एन सिंह के सुपुत्र तथा वर्तमान अध्यक्ष संतोष सिंह की दूरदर्शिता और विवेकपूर्ण सोच को जाता है। उनकी इस पहल को आने वाले दिनों में न सिर्फ मील का पत्थर माना जाएगा अपितु उत्तर भारतीय समाज को संगठित और प्रभावशाली बनाए रखने की दिशा में एक आदर्श उदाहरण भी साबित होगा।
70 के दशक में संघ के संस्थापक अध्यक्ष बांकेराम तिवारी के कार्यों से प्रभावित होकर, डॉ राधेश्याम तिवारी ने उत्तर भारतीय युवा शाखा के उपाध्यक्ष के रूप में अपनी शानदार पारी की शुरुआत की थी। इसके बाद वे लंबे अरसे तक दहिसर शाखा के अध्यक्ष रहे। 80 के दशक में उन्होंने केंद्रीय कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष के रूप में सम्मानजनक जगह बनाई।
यह वही दौर था जब स्व आरएन सिंह ने कार्याध्यक्ष के रूप में संघ की इमारत बनाने का प्रस्ताव रखा था। उत्तर भारतीय संघ का अध्यक्ष बनते ही आरएन सिंह ने उत्तर भारतीय संघ भवन निर्माण के लिए 51लाख रुपए (जो उस समय बहुत बड़ी राशि थी) देकर , मुश्किल सा दिख रहे भवन निर्माण के मार्ग को प्रशस्त किया। स्व आरएन सिंह और डॉ राधेश्याम तिवारी के बीच बहुत ही प्रगाढ़ संबंध रहे।
बाबू आरएन सिंह के निधन के बाद उनकी विरासत संभालने वाले संतोष सिंह ने संघ के प्रति समर्पित और निष्ठावान लोगों को सम्मानित करने की योजना बनाई। उत्तर भारतीय संघ युवा मोर्चा के अध्यक्ष संजय सिंह के रूप में उनको एक अच्छी जोड़ी मिल गई। संतोष और संजय की जोड़ी का संपूर्ण उत्तर भारतीय समाज न सिर्फ स्वागत कर रहा है, अपितु मुक्त कंठ से उनकी सराहना भी कर रहा है।