
उदयपुर जिले के गोगुन्दा कोटड़ा एवं ओगना में मानसून की बारिश नही होने से फसलों को भारी नुकसान
उदयपुर जिले में अनेक तहसील में बारिश की कमी महसूस की जा रही है। गोगुन्दा, कोटड़ा ओगना स तहसील में कम बारिश से मक्का एवं सोयाबीन की फसलें सूखने के कगार पर है। बारिश की कमी अब खलने लगी है। फिलहाल क्षेत्र में फसल के नुकसान की स्थिति नही है। लेकिन आगामी दिनों में बारिश नही हुई तो मक्का सुख जाएगी। कृषि को भारी नुकसान सहन करना पड़ सकता है।सात दिन तक बारिश नही हुई तो मक्का और सोयाबीन को भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
उदयपुर जिले में भरपूर बारिश नही हुई है इस वर्ष किसान मायूस नजर आ रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों को बहुत नुकसान होता है। ऊबड़खाबड़ खेतो में बारिश के अभाव में फसले जल्दी सुख जाती है। अभी भुट्टे में दाना चढ़ने का समय चल रहा है। लेकिन वारिश की कमी से भुट्टे के दानों का विकास नही हो पा रहा है। क्षेत्र में बादल आते है। बारिश का मौसम बनता है,लेकिन बदरा हाथ ताली देकर चला जाता है। किसान कृषि आधारित आय पर ही निर्भर है। स्कूल खर्चे,खाने पीने के घर खर्च का जुगाड़ कृषि आय पर अधिकांश परिवार का गुजारा होता है। किसान के पास अन्य आय के स्त्रोत नही है।
दरअसल,जो परिवार खेती की आय पर निर्भर है उनकी चिंता बढ़ गई है। कई पखवाड़े से बारिश के लोकल सिस्टम के अभाव में किसान हररोज उम्मीद बांधता है और शाम को निराश हो जाता है बारिश कम होने से किसानों के चेहरे की चिंता साफ दिखाई देती है। बारिश के रूठने से किसान भी परेशान है।
लोगो ने महादेव के भजन कीर्तन और प्रसादी बनाकर वितरण करने का भी आयोजन किया है। जिन किसानों के पास कुएं में भरपूर पानी उपलब्ध है वो सिंचाई के द्वारा मक्का एवं सोयाबीन की फसलों को जीवनदान दे रहे है। लेकिन सवाल यह है कि घास चारे के लिए सिंचाई कैसे संभव है? किसान हररोज बादल ताकते रहते है। मिलन मुलाकात में हालचाल के पूर्व ग्रामीण बारिश की बात करते है। बारिश की कमी के कारण खेतो की नमी भी सूखती जा रही है। सिंचाई और बारिश में बहुत फर्क है।सिंचाई से जड़े सिंचित होती है लेकिन ऊपर के भुट्टे में पानी नही पहुंच पाता है। दाने चिपक जाते है। बारिश इन सभी समस्याओं का निदान है।
क्षेत्र में नमी की कमी बढ़ती जा रही है। किसान सुखती फसलो को निहारने लगा है। बारिश की कमी से कुएं और जलाशयों में पानी नही है। इस वर्ष भरपूर बारिश नही हुई तो गर्मी में लोगो का जीवन दुष्कर हो जाएगा। अभी से लोगो के जेहन में बारिश की कमी की चिंता सताए जा रही है। अभी से पेयजल के लिए जूझना पड़ रहा है किसानों की आंखे बारिश को ताकती है।लेकिन बदरा किसानों को धोखा दे रहा हैं। बगैर बरसे बदरा ललचा कर आगे निकल जाता है । किसानों में उदासी है।किसानों के माथै की लकीरें साफ तौर चिंता बया कर रही है।गोगुन्दा के एनीकट खाली है। गोगुन्दा के नरसिहपुरा के किसान शांतिलाल सुथार ने बताया कि इस वर्ष मक्का की फसल में बारिश की कमी से नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि मक्का की फसल की दुबारा बुआई की गई थी। भानपुरा के देवड़ो का गुड़ा गांव के भूरसिंह का कहना है कि फसल की हमे चिंता नही है,लेकिन मवेशियों के लिए घास की भरपाई नही हो पाएगी।
पलासमा के दयाशंकर का कहना है कि बारिश की बहुत जरूरत है।क्योकि गर्मी में पेयजल का संकट हो सकता है।इन सभी आशंकाओं के बीच किसान की एक ही रटन है कि बदरा आ जाए तो सभी समस्याओं का हल है।सभी समस्याएं खत्म हो जाएगी।

(कांतिलाल मांडोत )



