अदम्य साहस के धनी सीडीएस बिपिन रावत की देश को भारी क्षति
बिपिन रावत की तमिलनाडु के कुनूर के जंगल मे हेलीकॉप्टर हादसे में निधन हो गया ।वे तीनों सेनाओं के रक्षा मंत्री के रूप में काम कर रहे थे। असाधारण साहस और प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति अचानक हमारे बीच से चले जाना बहुत दुखद है। उनकी देश को सख्त जरूरत थी। हमारे देश मे तीनो सेनाओं के बीच नेतृत्व की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। उनकी सेना में महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए जनरल पद का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद सीडीएस नियुक्त किए गए। आज कुशल नेतृत्व और सजग प्रहरी सैनिक की कमी देश को खल रही है। सेना में जोश भरने की ताकत बीपीन रावत में भरी पड़ी थी।
भारत के पहले सीडीएस बिपिन रावत के साथ उनकी धर्म पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 सैनिकों के शहीद होने पर पूरा देश शोक में है। राजस्थान में 2018 में अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार समारोह जयपुर में उन्होने बतौर मुख्य अतिथि ने कहा था कि फौजी सीमा की सुरक्षा करता है और पत्रकार लोकतंत्र की रक्षा करता है। फौजी वर्दी में देश की सुरक्षा करता है और पत्रकार देश के भीतर रहकर लोकतंत्र की रक्षा करता है। दोनों घटक देश के लिए महत्वपूर्ण है। इस महान सपूत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति सहित केंद्रीय मंत्रियों ने श्रद्धांजलि अर्पित कर बहादुर सैनिको की क्षति बताया।
सेना प्रमुख बनने के बाद बिपिन रावत ने कड़ा रुख अपना कर जम्मु कश्मीर के दक्षिणी जिलों में खराब होती जा रही स्थिति के प्रति की समीक्षा कर उचित कदम उठाए। कश्मीर में पत्थर बाजो का सामना करने के लिए सेना के पास सामान की कमी से परेशान रावत ने समस्याओं को दरकिनार करने की बजाय हल करने का बीड़ा उठाया। उनको जिम्मेदारी मिली उसे कुशलता से निभाया। आतंकियों को करारा जवाब दिया। उनके नाम को सीमा पार आतंकी कांपते थे। बिपिन रावत आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए सर्जिकल स्टाइक करने की सलाह दी थी। सर्जिकल स्टाइक कर आतंकियों से एयरबेस पर हमला का बदला लिया था।
पत्थर बाजो से सैनिको पर होने वाले नुकसान पर भी बहुत गंभीर थे। पत्थरबाजों को अल्टीमेटम देते हुए उन्होंने कहा कि पत्थर फेंकना बन्द करे क्योकि उसका जवाब देना सैनिको को भी आता है। क्योंकि शत्रुतापूर्ण अंदाज में पत्थरबाज नागरिकों का ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। जिनके मुकाबले का उनके पास कोई उपाय नही है। 2017 में फरवरी महीने में पत्थरबाजी करके आतंकवादियों को भगाने का मौका देने की अनेक घटनाएं हुई थी। लेकिन सेना को कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी। उस समय सेना के कड़े रवैये का भी संकेत दे दिया था। सेन एडवर्ड स्कूल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के छात्र रहे बिपिन रावत कड़क नियम पालन के हिमायती थे। वे नही चाहते कि कश्मीर में किसी नागरिक और किसी सैनिक को कोई नुकसान हो। परन्तु कानून किसी को हाथ मे लेने का अधिकार नही है।
उन्होने कहा था कि शत्रुओं और साथ ही आपके लोगो को भी आपका भय होना चाहिए। हम एक मित्रवत सेना है। लेकिन अब हमें कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए बुलाया जाता है तो लोगो को हमसे डरना चाहिए। धोनी को आर्मी ट्रेनिंग की स्वीकृति प्रदान करने वाले रावत विश्व के एडवान्स मिलिटरी ट्रांसपोर्टर हेलीकॉप्टर में सफर कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का प्रवास भी इसी हेलीकॉप्टर से होता है। भारतीय वायुसेना की रीढ़ है एमआई 17वी फिर भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाना एक इत्तफाक ही है। चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जैसे व्यक्ति दुर्घटना में शहीद होना गंभीर बात है। क्योंकि देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी थी। यह घटना देश के इतिहास में करुण घटना है।
इस तरह की घटना की जांच होनी चाहिए। जिससे भविष्य ऐसी घटना को टाला जा सके। वीआईपी सफर में हेलीकॉप्टर की बार बार जांच होती है। हेलीकॉप्टर मेकेनिजम को इमरजेंसी में क्या करना था उसकी भी उसको सूझबूझ नही रही। लिहाजा, बिपिन रावत के पिता भी अधिकारी थे। आज उनकी चिरकालीन विदाई से देश स्तब्ध है। उनका योगदान देश कभी नही भूल सकता है। शत शत नमन। जय हिंद
( कांतिलाल मांडोत )