सूरत। सूरत के अठवालाइन्स स्थित इनडोर स्टेडियम में ‘कर्मभूमि से जन्मभूमि’ कार्यक्रम में आज रविवार को ‘कर्मभूमि थी जन्मभूमि’ पहल के तहत गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान के मुख्यमंत्रियों ने अपने यहां जल भंडारण बढ़ाने पर मंथन किया। सूरत को कर्मभूमि बनाकर सालों से बसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार के व्यवसायी, उद्योगपति, सामाजिक अग्रणियों ने अपने गृहनगर में जल संरक्षण गतिविधियों में शामिल होकर बोर रिचार्ज, कुंआ रिचार्ज से रेन वॉटर हार्वेस्टींग को प्रोत्साहन दे और हमवतन लोगों को संगठित होने के लिए प्रेरित करने पर जोर दिया गया।
मुख्यमंत्री कहा कि जल संकट की समस्या को दूर करने और हमारी अनमोल विरासत को देने के लिए जल संचयन अभियान महत्वपूर्ण होगा। उऩ्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चुनौतियाँ आने से पहले ही दूरदर्शी सोच के साथ समाधान की योजना बनाते हैं। नल से जल- जल जीवन मिशन, कैच द रेन अभियान इसका अच्छा उदाहरण है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में ग्लोबल वार्मिंग के विरुद्ध पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा जल संचयन, जल संरक्षण जैसे अभियान सफल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने इस बात की सराहना करते हुए कि सूरत के व्यवसायियों और पेशेवरों ने कर्मभूमि में रहकर अपनी मातृभूमि के लिए जुनून बनाए रखने का नेक दृष्टिकोण अपनाया है, उन्होंने कहा कि अगर सरकारी स्तर पर चलाए जाने वाले जल संचयन अभियान में लोगों की भागीदारी बढ़ती है भूमिगत जल अवश्य बढ़ेगा। इसीलिए जल संचयन जनभागीदारी अभियान में जनभागीदारी को प्राथमिकता दी गई है।
राज्य भर में 80 हजार से अधिक रेन वॉटर हार्वेस्टींग कार्यों, पुनर्भरण संरचनाओं के लिए प्रतिबद्धता प्राप्त हुई है, जबकि उद्योगों, गैर सरकारी संगठनों, गुजरात सरकार ने निकट भविष्य में दो लाख से अधिक रेन वॉटर हार्वेस्टींग स्ट्रक्चर की स्थापना का लक्ष्य रखा है।