धर्म- समाजप्रादेशिक

11 मई “महात्मा दिवस” ​​पूरे देश में मनाया जाए : महाराष्ट्र भूषण सचिन भाऊसाहेब गुलदगड

श्री संत सावता माली युवा संघ की मांग

नगर : महात्मा जोतीराव फुले को 11 मई 1888 को महाराष्ट्र के दूसरे समाज सुधारक राव बहादुर नारायण मेघाजी लोखंडे और राव बहादुर वाडेकर द्वारा कोलीवाड़ा, मुंबई के लोगों द्वारा “महात्मा” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। श्री संत सावता माली युवा संघ, महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक अध्यक्ष महाराष्ट्र भूषण, जननायक सचिन भाऊसाहेब गुलदगड ने सरकार से इसे “महात्मा दिवस” ​​के रूप में मनाने का अनुरोध किया है महात्मा फुले के कार्य विश्व में प्रसिद्ध हैं। सावित्रीबाई फुले और जोतिबा फुले ने स्त्री-शूद्र-अतिशूद्र समाज के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया, उनके द्वारा किए गए कठिन परिश्रम के बदले में उन्हें ब्राह्मणों द्वारा प्रताड़ित और अपमानित किया गया।

महाराष्ट्र में खासकर पुणे में बहुजनों के बीच मांडवी के रघुनाथ हॉल में अपने तारणहार का ऋण चुकाने के लिए इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बड़ी संख्या में गरीब और मेहनती लोग जुटे और उत्साह से जुटे। जोतिबा फुले मुंबईकर सत्यशोधक कार्यकर्ताओं और नारायण मेघाजी लोखंडे के निमंत्रण पर मुंबई आए थे। तब जोतिबा फुले को उनके अग्रणी कार्य के लिए 11 मई, 1888 को कोलीवाड़ा, मुंबई के लोगों की ओर से “महात्मा” की उपाधि से सम्मानित किया गया। उस दिन से जोतिबा फुले को “महात्मा फुले” के नाम से जाना जाने लगा।

11 मई 2023 को उस घटना के 135 साल पूरे हो रहे हैं। इस घटना का संज्ञान लेते हुए श्री संत सावता माली युवा संघ, महाराष्ट्र राज्य ने लगातार 8 वर्षों तक विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर इस विशेष दिवस को मनाया और इस दिन को “महात्मा दिवस” ​​नाम दिया।*

जोतीराव उर्फ ​​जोतिबा गोविंदराव फुले, जो महात्मा फुले के नाम से लोकप्रिय हैं, एक मराठी लेखक, विचारक और समाज सुधारक थे।उन्होंने सत्य शोधक समाज की स्थापना की।उन्होंने किसानों और बहुजन समुदायों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रगतिशील विचारों को सामने रखा और महाराष्ट्र में महिला शिक्षा के लिए मंच तैयार किया। मुंबई के कोलीवाड़ा के लोगों ने उन्हें महात्मा की उपाधि से सम्मानित किया। उन्हें यह उपाधि 11 मई, 1888 को प्राप्त हुई थी, इसीलिए 11 मई के दिन का महत्व बढ़ गया है और अनुरोध है कि 11 मई को “महात्मा दिवस” ​​के रूप में मनाया जाना चाहिए।

श्री संत सावता माली युवा संघ के संस्थापक अध्यक्ष महाराष्ट्र भूषण के संस्थापक अध्यक्ष सचिन भाऊसाहेब गुलदगड़ ने श्री संत सावता माली युवा संघ के पदाधिकारियों एवं समस्त फुले प्रेमियों से अपील की है।’ शेतकऱ्यांच्या आसूड’ महात्मा फुले का प्रसिद्ध ग्रंथ है। जातिगत भेदभाव उस समय समाज में एक अवांछनीय प्रथा थी। साथ ही, समाज में उच्च जातियों के एकाधिकार के खिलाफ प्रतिक्रिया महात्मा फुले के साहित्य में परिलक्षित हुईउनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें उस समय के समाज को आलोकित करने और सामाजिक परिवर्तन के लिए मार्गदर्शक बनीं। आज भी उनकी पुस्तकों का यह संग्रह समाज के लिए पथप्रदर्शक और प्रेरणास्रोत है।

समतामूलक समाज बनाने में महात्मा फुले का बहुत बड़ा योगदान रहा है।यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि उनका काम समाज के लिए प्रेरणादायी है।अब नागरिकों को आगे आना और उनके काम को सलाम करने के लिए उनके काम को फैलाना आवश्यक है। उसके लिए सरकार को 11 मई को इस मांग को लेकर राज्य प्रशासन, जिलाधिकारी, तहसीलदार आदि स्तर पर बयान देकर इस महात्मा दिवस को मनाने के लिए दबाव बनाना होगा, यही उनके काम के लिए एक आदरांजली होगी।

प्रो. श्री विलास देवाजी माली, सूरत जिला संपर्क प्रमुख
अखिल भारतीय श्री संत सावता माली युवा संघ कार्यक्षेत्र भारत देश (शाखा- गुजरात राज्य) ने भी इस मांग को समर्थन देते हुए इसको लेकर सूरत में रणनीति बनाई जाने की बात कही।

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