प्रादेशिक

पुलिस कर्मियों के मेधावी बच्चों को किया गया सम्मानित

पुलिस आयुक्त ने दी शुभकामनाएं

मुंबई। एसएससी परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वाले पुलिस अधिकारियों के 13 (प्रतिनिधि) बच्चों को हाल ही में पुलिस क्लब (आजाद मैदान) के प्रेरणा सभागार में मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक फणसलकर और विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती ने नकद और उपहार देकर सम्मानित किया। उस वक्त पुलिस कमिश्नर विवेक फणसलकर ने कहा था, ‘मुझे गर्व है कि आप पुलिस के बच्चे हैं। आप सही दिशा में जा रहे हैं, लेकिन इस सफलता से प्रभावित न हों। अपना ध्यान रखना मुझे यह भी विश्वास है कि आप भविष्य में मुंबई पुलिस का नाम सफलता के शिखर पर ले जाएंगे,’ यह गौरव उद्गगार पुलिस आयुक्त फणसलकर ने कहे।

10 वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले दिव्या दत्तू शेलके (97.40), अथर्व संजय बाईत (97.40), सिद्धिका विनोद महाडिक (96.40), संवेदी महेश राठौड़ (95.60), ऋषिकेश गोविंद सांगले (95.40) आदि 50 मेधावी बच्चे जन सहयोग फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया।

उस समय मुंबई के विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती ने कहा था, ‘जब हमारे पुलिस अधिकारी 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं, तब भी उनके बच्चों द्वारा अपनी मां की मदद से हासिल की गई यह सफलता वाकई सराहनीय है। एसएससी परीक्षा में बड़ी सफलता हासिल करने वाले हमारे अधिकारियों के बच्चे आज देश-विदेश में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। मुझे गर्व है कि वे हमारे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आज जिन बच्चों को सम्मानित किया गया है मुझे यह भी आशा है कि उनमें से कई कल डिप्टी कमिश्नर, कमिश्नर बनेंगे या उच्च पदों पर नियुक्त होंगे।

देवेन भारती ने जन सहयोग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रभाकर पवार की भी सराहना की और धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि समाज को पवार जैसे लोगों की जरूरत है, जो लगातार पुलिस के लिए लड़ रहे हैं। सम्मान समारोह में उपायुक्त प्रवीण मुंडे, प्रफुल्ल भोसले, मिलन मेहता, शशांक शाह, ललित मांगे, अनिल गलगली और अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए। विशेष पुलिस आयुक्त देवेन भारती ने संगठन की ओर से प्रकाश साबले को गुलदस्ता देकर सम्मानित किया।

कार्यक्रम का उत्कृष्ट संचालन संदीप छौंकर ने किया। जब पुलिसकर्मियों के बच्चों का सम्मान समारोह चल रहा था तभी कमिश्नर विवेक फणसलकर को मुख्यमंत्री का फोन आया। इसलिए उन्होंने संक्षेप में अपना भाषण समाप्त किया और चले गए। लेकिन वह पुलिस अधिकारियों के मेधावी बच्चों में, परिवार में, उनके बच्चों में शामिल होना चाहते थे। वे उनसे संवाद करना चाहता था। लेकिन मंत्रालय के ‘कॉल’ के कारण कमिश्नर ऐसा नहीं कर सके। संक्षेप में कहें तो पुलिस कमिश्नर को भी सांस लेने, अपने पुलिस परिवार के सदस्यों से दो शब्द बोलने की फुर्सत नहीं मिली। इससे पता चलता है कि पुलिस कितने तनाव में है।

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