भारत

यूपी सहित तीन राज्यो में मोदी की सतरंगा जीत

असहमति पर सहमति ही लोकतंत्र है। जिनकी सारी सेफो लोजी फैल हो गई। मीडिया में भाजपा की जीत पर जोर दिया जा रहा था। वैसा ही परिणाम आया है।भाजपा चार राज्यो यूपी,मणिपुर,गोवा और उतराखण्ड में बहुमत हासिल कर सरकार बना रही है। ऐसी जीत को कई मायने में ऐतिहासिक ही कहा जाएगा। मोदी की साफ छवि ही फेक्टर रहा है। 2017 से कुछ सीटे कम जरूर है लेकिन दूसरे राज्य में भी भाजपा की जीत हुई है। मोदी और योगी के नाम पर मोहर लगाई है। दुनिया मे जहां भी विभेदकारी परिस्थितियों में चुनाव होते है,वहाँ ऐसी जीत को सतरंगा ही माना जाता है। यह विकास की राजनीति है। इसमें जाति अपनी खोल में समा गई। विपक्षी दलों ने मुद्दे उठाए।

मोदी योगी और भाजपा पर प्रहार किया,लेकिन जीत प्रभावी दल की ही हुई।अगर अखिलेश ने सहयोग किया होता तो तस्वीर अलग ही होती। यूपी और अन्य राज्यो में जनता ने भाजपा के कंधों पर एक बड़े दायित्व के रूप में फिर रख दिया है। पंजाब में केजरीवाल ने कांग्रेस को पीछे छोड़कर बाजी मार दी है। कांग्रेस के हाथ से पंजाब निकल गया और इसका कारण पार्टी में बिखराव रहा है। सिद्दु की हठधर्मिता और अमरेन्दरसिह कैप्टन को मुख्यमंत्री पद छीन कर दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाना कांग्रेस के लिए पराजय का कारण बना है।

हर चुनाव में एक राजनीतिक, सामाजिक पहलू होता है। पंजाब में आम आदमी पार्टी को 2017 ने बीस सीटे मिली थी। उसके विश्वास पर इस बार पानी, बिजली पर सरकार ले लाए। पार्टिया जात पात के गणित में उलझी रहती है। वे समझने की कोशिश नही कर पाते है कि मतदाता क्या सोचता है। एक मायने यह भारतीय लोकतंत्र की बड़ी विशेषता है। मतदाता का मन जान लेना कठिन होता है। यूपी में सुरक्षा व्यवस्था और खाद्यान वितरण प्रणाली सफल रही है। कोरोनोकाल में योगी की भाजपा ने घर घर अनाज वितरण करवाया था उसका ही नतीजा है कि इतने बड़े सूबे की जनता ने मोदी योगी को फिर से गले लगाया।

आखिर ईवीएम मशीन का बटन ही तो वह ब्रहास्त्र है जिससे ध्वस्त कर दिया। योगी पर लग रहे सारे आरोपों को खारिज कर दिया। इसकी प्रतीक्षा बहुत दिनों से थी। देश को ऐसा नेता मिला है जिसकी नीति नेतृत्व और जनाभिमुख दृष्टि के लोग कायल हुए है। भ्रम का कुहासा छटा है। दुष्प्रचार की आंधी बेअसर हुई है। दूसरे तरफ यह पराजय नकारात्मक राजनीति की। जातिवादी राजनीति की। यूपी की जनता से स्पष्ट निर्णय सुनाया है।

मोदी और योगी के विकास मन्त्र पर भ्रम फैला रहे है। वे बार बार सोचे और खूब सोचे। यह सोचे की यूपी सहित चार राज्यों पर जनता ने पुनः भरोसा जताया है। भाजपा के दिग्गज नेताओं ने कौशल संगठन और चुनावी रणनीति को सफलता के मंत्र को अभिमंत्रित किया है। विकास वह मंत्र है जो जाति मजहब से नागरिक समूह को उपर उठाता है। उन्नति की आशा जगाता है। प्रेरणा प्रदान जीवन की सीढ़ियां चढ़ने की हिम्मत देता है क्योंकि अन्त में मतदाता ही निर्णायक होते है। यह समय भविष्य का सपना संजोने का है। यह विकास जीता है।

मतदाताओ ने नरेंद्र मोदी पर भरोसा किया और आखिरी चरण में वे बनारस में भी रैली निकाली।मोदी ने चुनाव में अंगद का पांव रख दिया।यूपी देश को दिशा देने वाला है।इस क्षेत्र में दूसरी बार योगी की चुनाव परिणाम में हुई है।इस परिणाम में नई धारणा धारण करने की जगाई है।उत्तरप्रदेश और अन्य तीन राज्यो में भाजपा ने अपनी क्षमता फिर से हासिल कर दी है।आत्मिक,आर्थिक सामाजिक और राजनीति के समन्वय को ही विकास कहा गया है।भाजपा ने बखूबी निभाया है। सामाजिक समरता का यह महत्वपूर्ण पक्ष है। इसकी उपेक्षा खतरनाक होगी। यही है सबका साथ सबका विकास।

( कांतिलाल मांडोत )

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