धर्म- समाज

चार हजार से अधिक गुरुभक्तों ने गुरुपादुका पूजन

800 से अधिक श्रमण-श्रमणी भगवंतों के सम्मान में भव्य उत्सव

सूरत। वेसू स्थित संयमतीर्थ महाविदेहधाम में आचार्य फूलचंद्रसूरिजी महाराज आदि 800 से अधिक श्रमण-श्रमणी भगवंतों के सम्मान में भव्य उत्सव मनाया जा रहा है। जैनाचार्य गुणरत्नसूरिजी महाराज को प्रेम-भुवनभानसूरी समुदाय के बीच संयम सम्राट के रूप में जाना जाता है। गुरु तो अनेक हैं, परंतु सद्गुरु दुर्लभ हैं। जीवन के बिगड़े हुए ताले जो खोल दे उसे सद्गुरु कहते हैं। युवाओं को भौतिकवाद, भोगवाद और यंत्रवाद की ओर ले जाकर संयम के मार्ग पर मोड़ने का कार्य पूज्यश्री ने किया। यह बात पंन्यास पद्मदर्शनजी महाराज ने कही।

महाविदेधाम में सुंदरबेन गोकुलचंदजी पोखरना परिवार ने गुरुपादुका पूजन किया। इस शुभ अवसर पर चार हजार से अधिक गुरुभक्तों ने गुरुपादुका पूजन भी किया। गुरुभक्त प्रफुल्ल राठौड़ सद्गुरु की पादुका की अदभूत प्रस्तुति संवेदना के माध्यम से व्यक्त की । सभी हिंदू संस्कृतियों और जैन धर्म में गुरुपादुका का एक अलग ही महत्व है। किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति- उसके पादुका-महत्व है। पादुका सद्गुरु के अस्तित्व का एक विशेष अंग है।

सद्गुरु दर्शन के क्षेत्र में समर्पण की पराकाष्ठा हैं। आचार्य सूरजमुखी के समान होते हैं। धन, स्वास्थ्य से अधिक महत्वपूर्ण है चरित्र। सना, दौलत से ज्यादा अहम है चरित्र। पूज्यश्री का शांत जीवन यह था कि उन्होंने मच्छरों से त्रस्त होने के बावजूद 82 वर्षों तक मच्छरदानी का उपयोग नहीं किया। आत्मा की ऊर्जा के लिए तपस्या की आवश्यकता होती है। आज का आदमी शरीर की फिटनेस को लेकर चिंतित रहता है। आत्मा की फिटनेस की उतनी चिंता नहीं है। पूज्यश्री ने 80 वर्ष की आयु तक एकासना की तपस्या की।

जिस तरह अर्थव्यवस्था में सोना महत्वपूर्ण है। अतः संयम में सत्त्वगुण का महत्व है। ‘वी अनबीटेबल’ मुंबई ग्रुप के युवाओं ने डांस के माध्यम से अपना प्रदर्शन दिखाया। ये युवा ‘अमेरिकाज गॉट टैलेंट’ में प्रथम स्थान पर आए। इस नृत्य को देखने के लिए विशाल मंडप छोटा हो गया था। 21 फरवरी को सुबह 9:00 बजे एक विशाल जुलूस निकलेगा।

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