रामलीला में नौवें दिन विभीषण शरणागति, सेतुबंध रामेश्वरम की स्थापना, रावण – अंगद संवाद की लीला का हुआ मंचन
सूरत। वेसू के रामलीला मैदान पर चल रही रामलीला धीरे धीरे पूर्णता की ओर बढ़ रही है। सोमवार को मंचन के नौवें दिन विभीषण शरणागति, सेतुबंध रामेश्वरम की स्थापना, रावण अंगद संवाद, का मंचन किया गया।
श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के मंत्री अनिल अग्रवाल ने रामलीला प्रसंग के बारे में बताया कि रोज की तरह रात 8 बजे वृंदावन के कलाकारों की रामलीला का मंचन शुरू हुआ। माता सीता की खोज करने गए पवन पुत्र हनुमान अपनी तलाश पूरी कर वापस लौटते हैं। वापस आने की सूचना वानर राज सुग्रीव को देने के बाद वानर सेना के साथ राम के पास पहुंचते हैं और विस्तार से माता सीता की ओर से कहे गए कथन तथा पूरे प्रसंग का वर्णन करते हैं।
दरबार में रावण का भाई विभीषण भी मौजूद है। विभीषण के राम भक्ति से नाराज रावण उनको देश निकाला का फरमान सुनाता है। रावण का दरबार नेपथ्य में जाता है और मंच पर राम लक्ष्मण विराजमान दिखाई देते हैं। इसी बीच विभीषण पहुंचता है और अपनी पूरी बात मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के समक्ष रखकर दास बनाने की अनुहार करता है।
मर्यादा के प्रतीक राम उसको गले लगा लेते हैं और अपनी शरण में ले लेते हैं। माता सीता के रावण की नगरी लंका में होने की जानकारी के बाद वानर सेना के साथ राम लंका के लिए रवाना होते हैं। अगले दृश्य में वानर सेना के साथ राम लक्ष्मण समुद्र के किनारे खड़े हैं। वह समुद्र से पार जाने की प्रार्थना कर रहे हैं।
इसके बाद क्रोधित होकर राम अपने धनुष पर बाण चढ़ाते हैं, डरा हुआ समुद्र राम के समक्ष प्रकट होता है और क्षमा प्रार्थना करता है। साथ ही समुद्र पार करने की जुगत भी बताता है। इसके बाद राम समुद्र तट पर ही देवाधि देव भगवान शंकर का पूजन कर रामेश्वरम की स्थापना करते हैं और अंगद को दूत बनाकर लंका भेजते हैं। इधर वानर सेना और अन्य मिलकर समुद्र पर पत्थर का पुल बनाते हैं और सभी लंका पहुंच जाते हैं।
राम के दूत अंगद दरबार में पहुंचते हैं और रावण से संवाद करते हैं। कहते है कि माता सीता को वापस कर दो। राम सब का कल्याण करते हैं। तुम्हारा भी कल्याण कर देंगे। आक्रोशित रावण राम के दूत को दंड का फरमान सुनाता है लेकिन अंगद शर्त रख देते हैं। कहते हैं कि कोई मेरा पैर टस से मस कर दे तो मैं मान जाऊंगा कि आप राम को पराजित कर सकते हैं। तमाम वीर कोशिश करते हैं लेकिन कोई भी इस शर्त को पूरा नहीं कर पाता। रावण पांव डिगाने के लिए उठता है तो अंगद समझाते हैं कि अगर आप राम का पैर पकड़ते तो आपका कल्याण हो जाता।