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साहित्यिक संस्था कोशिश की काव्य गोष्ठी संपन्न

जौनपुर । साहित्य जगत की चर्चित संस्था कोशिश द्वारा आयोजित कवि गोष्ठी रासमंडल में डाक्टर विमला सिंह के आवास पर डाक्टर पी सी विश्वकर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। मुख्य अतिथि के रूप में गिरीश कुमार श्रीवास्तव रहे! सरस्वती वन्दना के उपरांत संजय सागर ने राजपूतों के शौर्य की बखान करते हुए कहा कि ‘ जो पोंछ दे लाचार की आंखों से पानी राजपूत होता है ‘ सुना कर वाहवाही लूट ली।

तत्पश्चात अंसार जौनपुरी ने आज के नकली मुस्कराहट पर तंज कसते हुए कहा, हंस हंस के तुमनें इतना सताया है उम्र भर,तुम मुस्कराये हो तो तबस्सुम से डर गए, सुना कर खूब वाहवाही लूटी, अशोक मिश्रा ने गर्दभ को भी मामा कहना पड़ता है,मरियल को भी गामा कहना पड़ता है, कुर्सी मिल जाए इस कारण भाड़ो को,राम चरित को ड्रामा कहना पड़ता है।आज की राजनीति पर करारा तंज कसा।

अनिल उपाध्याय ने कहा, आज करेगा कल पायेगा, यकीनन बुरा कर्म कल्पायेगा!! सियासत पर तंज करते हुए, गिरीश कुमार गिरीश ने कहा, हकीकत है कोई सपना नही है कभी आकाश को झुकना नही है, लड़ाई सिर्फ सत्ता की यहाँ है, सियासत में कोई अपना नहीं है!! लोगों को सोचने के लिए मजबूर किया, रिस्तों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त करते हुए डाक्टर आर एन सिंह ने कहा, लगता है सब बदल रहा है रिश्ता दुनियाँ दारी भी, मख्खन बाजी के आगे दम तोड़ रही खुद्दारी भी, वरिष्ठ कवि जनार्दन प्रसाद अष्ठाना ने, पूछो क्यों करती हो मुझे बदनाम, पाती लिखी मैंने पुरुवा के नाम, खूब सराही गई, शायरी ने टूटते दिल को संवारा है, बांटने का काम बस जल्लाद करता है, पढ़ कर सभा जीत द्विवेदी प्रखर ने लोगों को आगाह किया।

विमला सिंह, सुशील दुबे व राजेश पान्डेय ने भी अपनी अपनी रचना प्रस्तुत किया। अन्त में डाक्टर पी सी विश्वकर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ काव्य पाठ कर लोगों को नसीहत का शेर पढ़ा कि कोई भी इन्सां किसी से जब गिला शिक़वा करे,इससे पहले अपनी कमियों पर नजर डाला करे,लोगों को सचेत किया।कार्यक्रम का संचालन जनार्दन प्रसाद अष्ठाना ने किया और विमला सिंह ने आये हुए कवियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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