अरिहंत पार्क जैन संघ में आयोजित हुआ “शंत्रुजय तारो महिमा न्यारो” कार्यक्रम
आचार्य भगवंत श्रीमद विजयाजिन सुंदरसूरीश्वरजी ने शत्रुंजय शाश्वत तीर्थ के महत्व का वर्णन किया
सूरत। सुमुल डेयरी रोड स्थित अरिहंत पार्क जैन संत, फागण सुदी-तेरासन की ओर से शनिवार सुबह संगीत की धुन पर ‘शंत्रुजय तारो महिमा न्यारो’ कार्यक्रम हुआ। फागण सुद तेरस अर्थात गिरिराज को स्पर्श करने का अद्भुत दिन, युगप्रधान आचार्यसम पंन्यास प्रवर चन्द्रशेखर विजय म.सा. पी.ओ. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयजिन सुन्दरसूरीश्वरजी म.सा.ने अतुलनीय शैली में कहा कि पालिताना में शत्रुंजय एक शाश्वत तीर्थ है। जैनियों के इस तीर्थ पर अनगिनत आत्माओं ने निर्वाण प्राप्त किया है।
इस धरती के कंकर-कंकर अत्यंत पवित्र हैं। शत्रुंजय तीर्थ साधकों की साधना भूमि है। शत्रुंजय की भादवा पहाड़ी पर साढ़े सात करोड़ आत्माओं के साथ प्रधुम्न निर्वाण प्राप्त किया। जैन धर्मावलंबियों के लिए आज का दिन फागण की फेरी के रूप में ऐतिहासिक एवं अविस्मरणीय है।
अंत में अरिहंत पार्क जैन संघ के सभी उन्नत जैन श्रावक श्राविकाओं ने गिरिराज जी को प्रणाम किया। संगीतकार स्नेहल भाई की टीम द्वारा सुन्दर संगीत रचना प्रस्तुत की गयी।
पूरे भारत और विदेशों से लाखों की संख्या में जैन धर्मावलंबी शत्रुंज्य तीर्थ में आते हैं। पालीताणा स्थित शत्रुंजय शाश्वत तीर्थ पर आने वाला हर श्रद्धालु जय गिरिराज, जय आदिनाथ का जाप किए बिना नहीं रहता।