दहेज प्रथा के दावानल में धधक रहा है समाज
वर्तमान काल मे दहेज प्रथा का दावानल बड़े जोरो से प्रज्वलित होकर उसकी लपटों में सर्वत्र धधक रहा है। शिक्षित समाज मे दहेज लेना और देना उसी अंदाज में फल फूल रहा है। इन लपटों में देश समाज बुरी तरह झुलस रहा है। सामाजिक परम्परा को अक्षुण्ण रखने के लिए विवाह संस्कार एक आवश्यक तथा मंगलमय पवित्र बंधन समझा जाता रहा है। किंतु आज उसने एक भयंकर समस्या का रूप धारण कर लिया है।आज विवाह संस्कार का अर्थ हो गया है एक प्रकार का सौदा व्यापार। मानव के तृष्णातुर मानस ने इस पवित्र संस्कार को भी अर्थाजन का माध्यम बनाकर विकृत कर डाला है।
विवाह एक व्यापार बन गया है। यह बात कितनी लज्जास्पद है कि मानव अपनी संतान को पशु आदि की तरह खुले आम बोलिया लगाकर बेचता है। कभी लड़कियों की बोलिया लगाई जाती थी, तो आज लड़को पर लगाई जा रही है। जब लड़कियो के भाव तेज थे तो लड़को वालो को रुपया देना पड़ता था। आज लड़को के भाव तेज है तो लड़कियों के पिता को तिजोरियों खोलनी पड़ती है। लड़के का पिता विवाह संस्कार को धनप्राप्ति का एक सुंदर अवसर समझता है,और उसका पूरा पूरा लाभ उठाने के लिए वह विवाह के पूर्व ही दहेज का ठहराव कर लेता है। उस ठहराव में लड़के की पढ़ाई का व्यय, गाड़ीऔर नकदी आदि की डिमांड करते है। विवाहसंस्कार एक मंगलमय प्रसंग होने पर भी आज लड़की वाले के लिए भार और संकट बन गया है।
पहले कोई लुक छिपकर दहेज ठहराव लेता था तो उसे समाज का अपराधी माना जाता था। आज खुलमखुला दहेज लिया जा रहा है। यह एक राज्य या एक दो समाज की बात नही है। यह पूरे देश की समस्या है। और हर समाज मे कम और ज्यादा दहेज लिया और दिया जा रहा है। कोई किसी से नही डरता है।दहेज सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रमुख आधार बन गया है। दहेज का अभिशाप नव विवाहिता बंधुओ के प्राणों का काल भी बन जाता है। अभीष्ट दहेज नही मिलने पर ससुराल में बधुओ को निर्दयतापूर्वक सताया जाता है। धिक्कारा जाता है। लड़कियों को जलाकर मारने की घटनाएं बढ़ रही है। वे अधीर होकर आत्मघात करने पर भी उतारू हो जाती है। इस प्रकार दहेज नृशंस हिंसा का रूप नही तो और क्या है?दहेज सामाजिक उत्कर्ष में बहुत बाधक है।
राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना क्षेत्र के गांव सिकंदरा की घटना है। दुल्हन के पिता ने दामाद के पैरों में अपनी पगड़ी रख दी।लेकिन वर पक्ष के लोगो ने दुल्हनों को साथ ले जाने से इंकार कर दिया। इनकी शादी चचेरे भाइयों के बीच हुई थी। जिससे बिन दुल्हन ही बरात लौटी। पुलिस ने वर पक्ष के खिलाफ मामला दर्ज किया है। ऐसी घटना हर शादियों के मौके पर अक्सर होती है। कोई घटना दब जाती है तो कोई घटना अखबारों की सुर्खिया बनती है। इस दूषण को समाज से दूर करने की जरूरत है। इस घटना के बाद शादी के जोड़े में दोनों दुल्हनें थाने पहुंची। दोनों दूल्हों ने एक बाइक सोने चांदी के जेवर कपड़े बर्तन फर्नीचर आदि की मांग की थी। दहेज भूखे परिवार को और दूल्हे को समझाया गया। आज पश्चिमी चकाचोंध में भारतीय परम्परा को समाज भूलता जा रहा है। इस दूषण और दुखदाई परम्परा को बंद करने की जरूरत है। सरकार को कड़क कानून बनाने की आवश्यकता है। तब ही समाज को संदेश पहुंचेगा।
( कांतिलाल मांडोत )