धर्म- समाज

सूरत : गौ माता के पंचगव्य का सेवन करने वाला सच्चा गोव्रती : साध्वी कपिला दीदी

श्री महेश मित्र मंडल सूरत के तत्वावधान में गौकथा का आयोजन 13 से 17 नवंबर 2022 तक माहेश्वरी भवन सीटी लाईट में किया गया है। कथा के दूसरे दिन सोमवार को परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने गौकथा की शुरुआत सर्व देवों एवं सर्व देवमयी भगवती गौमाता की वंदना से की। परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने परम सुख दायिनी भगवती गौ माता की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज अधर्म बढ़ने से अच्छा काम करने में बहुत कठिनाई होती है। जगत के सभी जीवों का पोषण करने वाली मां भगवती गौ माता सड़कों पर भटक रही हैं और हिंसक जानवर कुत्ता घरों में आनंद भोग रहा है। धर्म को संरक्षित करना बहुत बड़ा धर्म है। धर्म की हानि होने पर सज्जनों (संतों) की पीड़ा को हरने के लिए स्वयं श्री ठाकुरजी अवतरित होते हैं।

उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में माना कि लोग गौ माता (गौवंश) नहीं रख सकते, लेकिन गौ वंश को संरक्षित करने के लिए गो व्रती तो बन ही सकते हैं। गो व्रती का मतलब है पंचगव्य (गाय की घी, दुध, दही, मूत्र एवं गोबर) सहित गो वंश उत्पाद का सेवन करना। आज के कार्यक्रम में सालासर सेवा मंडल के प्रमुख टीकमजी असावा मंत्री मंगल जी व उनकी कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति रही। गोभक्त जगदीशजी परिहार की विशेष उपस्थिति रही। श्री महेश मित्र मंडल के अध्यक्ष परमानंद राठी ने सभी का स्वागत किया व कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने ज्यादा से ज्यादा गौभक्तों को कथा श्रवण का लाभ लेने की अपील की।

परम पूज्या साध्वी कपिला दीदी ने कहा कि आज आश्रम तो बन रहे हैं, लेकिन गौ शालाएं नहीं दिखाई देती हैं। आश्रम के साथ गौशाला हो और ठाकुर जी की प्रियतम गौ माता की सेवा होता हो वहीं की दिव्यता अलग ही होती है। ठाकुर जी के नाम के साथ गौ माता का काम आ जाए तो जीवन सफल हो जाता है। श्री दीदीजी ने बल्लभदास जी एवं संयोगिता की कथा का वणर्म करते हुए कहा कि संगत का जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव होता है। वल्लभदास नशा करने लगा था। नशा इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है।

नशा से नसें कमजोर हो जाती है और नस्लें बिगड़ जाती है। नशाखोरी भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है। नशा अगर करना हो तो ठाकुर जी के नाम का करना चाहिए। लोग नशा करके गुटखा तंबाकू खाकर गंदगी फैलाते हैं। नशे से शरीर के अनेक विकार उत्पन्न होते हैं। आज प्रतिष्ठित समाज भी नशे की भेंट चढ़ने लगी है, जो निंदनीय है। समाज के लोगों को आगे आना चाहिए, ताकि हमारा समाज नशा मुक्त हो सके।

नशा से धर्म को बड़ा नुकसान होता है। आज हमारे धर्म को बदनाम करने के लिए पतित पावनी मां गगंगा का एक नाम विमल है, रजनीगंधा चंद्रमा को कहा जाता है। जबकि कुबेर तो कुबेर ही है। हिंदुओं के धर्म से विमुख होने पर आज विधर्मी हमारे धर्म का अपमान करने लगे हैं। आज के कार्यक्रम में सालासर सेवा मंडल के प्रमुख टीकमजी असावा, मंत्री मंगलजी व उनकी कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति रही। साथ ही गोभक्त जगदीश परिहार की विशेष उपस्थिति रही। श्री महेश मित्र मंडल के अध्यक्ष परमानंद राठी ने सभी का स्वागत किया व कार्यकारिणी के सभी सदस्यों ने ज्यादा से ज्यादा गौभक्तों को कथा श्रवण का लाभ लेने की अपील की।

दिन में एक बार मंदिर अवश्य जाना चाहिए

बैंक बैलेंस किसी काम का नहीं, परमार्थ रूपी खाता ही साथ जाता है। दूसरे के दुःख को अपना दुख समझने वाला सच्चा वैष्णव माना जाता है। जब तक हमारी दृष्टि में भेद रहेगा तब तक हम सच्चा वैष्णव नहीं हो सकते। मनुष्य को अपने अंदर के विकारों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। सादगी जीवन का बहुत अमूल्य धरोहर है। सादगी स्त्री का सबसे बड़ा आभूषण है। प्राकृतिक सौंदर्यता में जो है वह कृत्रिमता में नहीं। हमारे धर्म में फैशन घुस गया है, जिससे अब संस्कृति भी बिगड़ने लगी है। आज का समाज ऐसा हो गया है कि कुत्ता घर में और गाय सड़क पर घूम रही है। घर के सदस्यों के समान कुत्ते हो गए हैं। वेद,उपनिषद का अनुसरण करना चाहिए। स्त्री फैशन और पुरुष व्यसन से पीड़ित है। दिन में एक बार मंदिर अवश्य जाना चाहिए, मंदिर में जाने से मन का मैल दूर होता है।

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