सूरत

दिल्ली में फ्लड मैनेजमेंट एसेसमेंट और फिजीबिलिटी स्टडीज पर सूरत डिप्टी मेयर ने दिया प्रेजेंटेशन

सूरत। नई दिल्ली में आज यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा आयोजित फ्लड मैनेजमेंट एसेसमेंट और फिजीबिलिटी स्टडीज सेमिनार में सूरत महानगर पालिका के डिप्टी मेयर नरेन्द्र पाटिल उपस्थित थे। सम्मेलन का उद्देश्य शहरों में बाढ़ प्रबंधन और जोखिम मूल्यांकन के लिए एक सुव्यवस्थित अभियान पर चर्चा और विचार करना था।

इस सम्मेलन में सूरत महानगर पालिका से डिप्टी मेयर डाॅ. नरेंद्रभाई पाटिल ने सूरत शहर में बाढ़ की स्थिति के बारे में बोलते हुए कहा कि सूरत शहर को भारी बाढ़ का सामना करना पड़ा है। सूरत शहर दो तरह की बाढ़ से प्रभावित है। तापी नदी के उफान और भारी बारिश के कारण तापी नदी में बाढ़ आ गई है। जब भारी बारिश और समुद्र के ज्वार के प्रभाव के कारण शहर में बाढ़ आ जाती है। तटीय कटाव, खारे पानी घुसने, बाढ़ और तेज़ हवाएँ समुद्र के स्तर में वृद्धि, तूफान और चक्रवात सहित तूफान की घटनाओं के संयुक्त प्रभाव का परिणाम हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण शहर में बार-बार गर्मी पड़ रही है। 2006 की बाढ़ के बाद सूरत ने अपने तूफानी जल और सीवरेज बुनियादी ढांचे की मरम्मत शुरू कर दी।

उन्होंने 1994 के प्लेग के बाद शहरी स्वास्थ्य पहल भी लागू की। सामान्य तौर पर जलवायु परिवर्तन और विशेष रूप से बाढ़ की स्थिति से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए एक शहर लचीलापन रणनीति विकसित की गई है। जलवायु परिवर्तन के लिए गुजरात राज्य एक्शन प्लांट, एक राज्य-प्रवर्तित पहल है जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप एक मजबूत और जलवायु-लचीला भविष्य का निर्माण करना है। 2030 तक एकीकृत जलवायु अनुकूलन और शमन योजना की परिकल्पना की गई है।

सूरत क्लाइमेट चेंज ट्रस्ट (एससीसीटी) और शहरी स्वास्थ्य और यूएचसीआरसी ने शहर में दो प्रमुख पहल की हैं। गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन योजना, 2020-21 राज्य को आपदा-लचीला बनाने की परिकल्पना करती है।

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