
सूरत से कपड़े के पार्सल देश के सभी हिस्सों में भेजे जाते हैं। हर साल औसतन 10 करोड़ से ज्यादा का माल दूसरे राज्यों में पहुंचने से पहले रास्ते में ही खो जाता है। ऐसे पार्सलों के गायब होने के बावजूद ज्यादातर मामलों में व्यापारी शिकायत तक नहीं करते हैं, ऐसे में कपड़े के पार्सल चुराने वाले गिरोहों को खुला मैदान मिल गया है।
प्रतिदिन औसतन 200 ट्रक दूसरे राज्यों से भेजे जाते हैं
सूरत के कपड़ा बाजार से प्रतिदिन औसतन 200 ट्रक दूसरे राज्यों से भेजे जाते हैं। ट्रक को दक्षिण भारत के राज्यों तक पहुँचने में अधिक समय लगता है जबकि पास के राज्यों में पार्सल एक या दो दिन में पहुँचा दिए जाते हैं। हाईवे पर दौड़ रही ट्रकों से पार्सल चोरी किए जाते हैं। कभी-कभी पूरे ट्रक भी हाइजेक हो जाते हैं। बरसात के मौसम में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जलभराव के कारण पार्सल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में पुलिस के चक्कर में पड़ने के बजाय ट्रांसपोर्टर समेत व्यापारियों को घाटा उठाना पड़ रहे है।
प्रति वर्ष रु. 10 करोड़ का नुकसान
कपड़ा बाजार में कारोबार करने वाले सूरत टेक्सटाइल ट्रांसपोर्ट गुड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष युवराज देसले का कहना है सूरत से जिन पार्सल को अन्य राज्यों में भेजा जाता है वह अन्य राज्यों तक सुरक्षित पहुंचते है। हालांकि, कुछ परिस्थितियों में चोरी, डकैती या आग लगने जैसी घटनाओं से माल को नुकसान हो जाता है। औसत प्रति वर्ष रु. 10 करोड़ का नुकसान होता है।
कपड़े के पार्सल का बीमा नहीं करना कराने से आर्थिक नुकसान
साकेत ग्रुप के सावर प्रसाद बुधिया कहा की कपड़ा बाजार में कारोबार करने वाले व्यापारियों को मरीन इंश्योरेंस लेना चाहिए जिससे हाईवे पर होने वाली चोरी और लूट जैसे मामलों में उन्हें संरक्षण मिल सकेगा।
सीमावर्ती इलाकों में चोरी की ज्यादा घटनाएं
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि हाईवे पर ट्रकों से चोरी आमतौर पर रात में होती है और केवल एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करने पर ही की जाती है। हाईवे से गुजरने वाले ट्रकों को ड्रापिंग पार्सल में फंसाया जाता है, कभी-कभी एक या दो पार्सल चोरी हो जाते हैं तो कभी-कभी बड़ी संख्या में पार्सल इस तरह से चोरी हो जाते हैं।