
ऋतु चक्र के साथ जीवन में स्वास्थ्य को लेकर हुई उथल-पुथल लिए प्राकृतिक खेती रामबाण इलाज है। गुजरात का किसान धीरे-धीरे आधुनिक होता गया है लेकिन साथ ही प्राकृतिक खेती का महत्व भी समझ रहा है। गौ आधारित खेती कर वह रसायनों से दूर प्राकृतिक फसलों की खेती कर रहा हैं। इसे ग्राहकों तक पहुंचा रहा है।
सूरत में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को ऐसा मंच प्रदान करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य सर्वदा संस्था द्वारा चार दिवसीय नेचुरल फूड एक्सपो 2023 का आयोजन किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं आयोजन समिति के सदस्य प्रवीण भालाला ने प्राकृतिक मेले के बारे में कहा कि प्राकृतिक खेती का अर्थ है प्रकृति के नियमों को जानकर तर्कसंगत खेती करना और प्रकृति को अपने तरीके से विकसित करने में मदद करना।
विष मुक्त और प्राकृतिक पोषक तत्वों से भरपूर खेती करने वाले किसानों के लिए सूरत के मोटा वराछा अब्रामा रोड स्थित गोपिन गांव में 11 से 14 अप्रैल तक चार दिवसीय नेचुरल फूड एक्सपो 2023 का आयोजन किया जाएगा। इसका उद्घाटन 11 तारीख को सुबह शीतलदास बापू और भरतदास बापू करेंगे। तो शाम को राज्यपाल आचार्य देवव्रत भी एक्सपो में पधारेंगे और मेले का विधिवत उद्घाटन करेंगे।
प्राकृतिक मेले में गुजरात सहित देश के 250 से अधिक किसान अपने उत्पाद लाएंगे। जिसमें गाय आधारित खेती से अनाज, सब्जी, किराना फल आदि सीधे किसान के पास से उपलब्ध होंगे। एक्सपो के मुख्य आयोजक नरेंद्रभाई रिबडीया एवं रोहित गोटी के अनुसार आने वाले सभी किसानों को नि:शुल्क आवास एवं भोजन और स्टॉल आवंटित किए गए हैं।आगन्तुकों के लिये कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। डांग के नाडी वेद का एक स्टाल भी है। जहां लोग प्राचीन पद्धतियों से अपनी बीमारी के इलाज के बारे में जान सकते हैं।
प्राकृतिक खेती के फायदे
– रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की शून्य लागतकि।सानों को बाहर से कोई चीज लेने की जरूरत नहीं है। बहुत कम पानी की आवश्यकता।
प्राकृतिक कृषि में मिट्टी में अलसिया मात्रा में होते हैं। जो मिट्टी को झरझरा बना देता है। ताकि बारिश के पानी को रिचार्ज किया जा सके, इस प्रकार “खेत में खेत का पानी” का सिद्धांत बिना लागत के प्राप्त होता है।
– प्राकृतिक कृषि उपज रासायनिक अवशेषों से मुक्त और उच्च गुणवत्ता वाली होती है, जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।प र्यावरण संरक्षित और समृद्ध होता है।
-कम लागत, अधिक उत्पादन, उत्कृष्ट गुणवत्ता, अच्छी मांग, उचित मूल्य से किसानों की आय में वृद्धि होती है।