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गोगुन्दा में आज कोरोना संक्रमित मरीजो में आई कमी, 28 मरीज संक्रमित 

उदयपुर (कांतिलाल मांडोत) उदयपुर में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या से गंभीर समस्या पैदा हो गई है।कोरोना वायरस से बचाव का सबसे आसान तरीका सोशल डिस्टसिंग ही है।लोगो के दिल से करीबी तथा शरीर से दूरी रखिये।इससे बचने का सरल उपाय न तो किसी के घर जाना है और न ही किसी को अपने घर बुलाना है।शादी में पचास व्यक्तियों के सरकारी आदेश के बावजूद लोग बिन्दोली  में लोग प्रोटोकॉल का पालन नही कर रहे है।शादी में छूट मिलते ही लोग  भूल जाते है कोरोना को।शादियों और  आयोजन में कम मेहमानों से दिल नही भर रहा है।इसलिए शादियां निरस्त कर आगामी सावे में शादी का मुहूर्त  निकाल रहे है।कोरोना संक्रमण को देखते हुए अनेक वैवाहिक आयोजन निरस्त कर दिए है।
कोरोना से मॄत्यु बढ़ने से उदयपुर में मोक्षधाम पर वसूली किये जाने की खबर से कार्रवाई करने की मांग भी की है।कोरोना महामारी के बढ़ते आंकड़ो ने अन्य बीमारियों को भुला दिया है।किसी व्यक्ति की दूसरी कोई बीमारी की शिकायत नही है।कोई भी शारिरिक लक्षण मिलने पर कोरोना से ही जोड़कर देखा जाता है।कोरोना में मृत्यु का प्रतिशत कम है।लोग ठीक भी हो रहे है,लेकिन जांच में  कोरोना पॉजिटिव का प्रतिशत कम नही हुआ है।
पॉजिटिव मरीजो की संख्या और शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीजो की संख्या में कोई बड़ा बदलाव देखने को नही मिल रहा है। बढ़ती कोरोना मरीजो की जनसंख्या को देखते हुए बेड की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है।कोरोना संक्रमितों को किसी भी प्रकार की असुविधा नही हो,इसके लिए प्रशासन सक्रिय है।राज्य में वैक्सीन उपलब्ध होती है तो 1मई को 18 से 45 वर्ष के युवाओ को वैक्सीनेशन की शुरुआत की उम्मीद जगी है।
घरो में रहकर महामारी से बचाव
राजस्थान में कोरोना के मामले बढ़ते रहे तो राज्य सरकार लोकडाउन में कोई ढील नही बरतेगी।घरो में रहकर महामारी से बचाव करना और अन्य को भी बचाना होगा।लोग निराशा और अपराधबोध में जी रहे है।एक ऐसी स्वास्थ्य प्रणाली के साथ कर रहे है जो बेहतर हालात में भी पहुँच और गुणवत्ता के लिहाज से असमानता से भरी है।हमने हमेशा भारतीय प्रणाली का अनादर किया है।
अभी देखा जाए तो कोरोना वायरस के कहर के बीच तमाम दवा कंपनियों की कमाई बढ़ गई है।जबकि अब तक सही मायने में कोरोना की कोई दवा बाजार में नही है।इम्युनिटी बढाने वाले अवयवों का बाजार इस दवा बिजनेस के मुनाफे को बढ़ा रहा है।करीब दो दर्जन दिग्गज दवा कंपनिया इस मुनाफे की मारामारी में कूद पड़ी है।जो लोग इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे है।वह इंसानियत के लिए अभिशाप है।मानवता पर कलंक है। लोगो की  सांसो को रोककर अपने लिए सुख खरीदने वालों पर तरस आता है।ये लोग किस हद तक निष्ठुर हो सकते है।दरसल,हाल के दौर में साठ साल के ऊपर वाले मरीजो की मृत्यु दर ज्यादा है।
कोरोना महामारी की यह लहर से सरकारी अस्पताल की हालात किसी से छिपी नही है।बेड और ऑक्सीजन की किल्लत के बीच दम तोड़ते लोगो की खबरें विचलित करती है।संकट का आकलन न कर पाना इस महामारी को भयावह बना दिया गया।जो अस्पताल सामान्य दिनों में ही मरीजो को पर्याप्त इलाज नही दे पा रहे थे,उनसे महामारी में उपचार की उम्मीद करना ही बेमानी है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों के स्तर पर भी यह बताने की चूक हुई है कि इस नई और अनजान बीमारी से संक्रमित होने पर उपलब्ध संसाधनों के आधार पर जीवन कैसे बचें।
गोगुन्दा और सायरा दोनों में 28 कोरोना संक्रमित मरीज
सायरा चिकित्सा अधिकारी आर एस मीणा ने बताया कि आज गोगुन्दा और सायरा दोनों में 28 कोरोना संक्रमित मरीज मिले है।जिनको होमाऐसोलेट किया जायगा। उल्लेखनीय है कि को महामारी  में घर में  आइसोलेट हुए मरीजो की देखभाल बहुत जरूरी है।गोगुंदा से कोरोना संक्रमितों की तादात बढ़ रही है।लोगों को सांस लेने में तकलीफ है और ऑक्सीजन लेवल 90 से कम है।वो ही अस्पताल के रुख करे।उदयपुर में संसाधनों की कमी में और आपनी व्यवस्था न बिगाडे।देश मे कोरोना महामारी की  तश्वीरें देख रहे है।उसमें जितनी भूमिका संक्रमण के फैलावे की है।इससे ज्यादा प्रबंधन के स्तर से मौजूदा स्थिति निपटने की वजह से है।

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