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प्रेरणादायक : खेती के बल पर किसान खरीद रहा हेलीकॉप्टर

प्रतापगढ़ से बस्तर पहुंचा परिवार

मुंबई/रायपुर । बदलते परिवेश में एक बार फिर खेती का महत्व बढ़ने लगा है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि खेती के बल पर कोई किसान हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहा है। देश के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले के रहने वाले उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी अपने एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

राजाराम त्रिपाठी प्रदेश के पहले ऐसे किसान हैं जो हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं. 7 करोड़ की लागत से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से डील भी कर ली है. साल भर के अंदर उनके पास R-44 मॉडल की 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा ।

सफेद मूसली, काली मिर्च और जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का संचालन करने वाले किसान राजाराम त्रिपाठी पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. हाल ही में उन्हें करीब 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने और यह खेती सफल होने की वजह से उन्हें सम्मान भी किया गया था। उन्हें जैविक खेती के लिए भी कई बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। वहीं अब अपने खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

इस समय राजाराम त्रिपाठी की कंपनी मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप का सालाना कारोबार ₹25 करोड़ को पार कर गया है। राजाराम त्रिपाठी के साथ 400 आदिवासी परिवार 1000 एकड़ में सामूहिक खेती कर रहे हैं. मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप यूरोप और अमेरिकी देशों में काली मिर्च निर्यात कर रहा है।

उन्होंने बताया कि अपने इंग्लैंड और जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का उपयोग हो रहा है, और काफी बेहतर तरीके से इसका रिजल्ट भी मिल रहा है, बस इसी को ध्यान में रखकर उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने की ठानी और हेलीकॉप्टर खरीदने का पूरी तरह से मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से डील भी कर लिया।

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं ताकि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें. उन्होंने बताया कि फसल लेते समय कई प्रकार के कीड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, और हाथों से दवा छिड़काव से भी कई जगह दवा छूट जाते हैं, जिससे कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है. हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाला जा सकता है, जिससे फसलों को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।

प्रतापगढ़ से बस्तर पहुंचा परिवार

प्रतापगढ़ जिले से राजाराम त्रिपाठी के दादा शंभू नाथ त्रिपाठी करीब 70 साल पहले छत्तीसगढ़ में आकर खेती किसानी करने लगे थे। त्रिपाठी के पिता जगदीश प्रसाद त्रिपाठी शिक्षक थे। जगदलपुर कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वह एसबीआई में पीओ बनकर कोंडागांव चले आए. राजाराम त्रिपाठी के पिता ने साल 1996 में 5 एकड़ जमीन से सब्जी की खेती शुरू की जिसके बाद वह मूसली और अश्वगंधा की खेती करने लगे। शुरुआती लाभ मिलने पर उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी।

साल 2002 में जब सफेद मूसली के भाव गिरे तो उन्हें काफी नुकसान हुआ, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने मिश्रित खेती शुरू कर दी. साल 2016 में ऑस्ट्रेलियन टीक के साथ काली मिर्च की खेती का प्रयोग कर उन्होंने अच्छी कमाई की, इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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